मुहम्मद यूनुस की चरमपंथी नेता से मुलाकात पर विवाद

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बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस और हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के नेता ममनूल हक़ की मुलाकात ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। 31 अगस्त को ढाका में हुई इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के विवादास्पद इतिहास और भारत विरोधी रुख को देखते हुए, इस मुलाकात को लेकर कई चिंताएं उठाई गई हैं।

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक का मुख्य उद्देश्य चुनाव सुधार और समय पर चुनाव कराना था। हालांकि, हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम के भड़काऊ बयानों और भारत विरोधी नीतियों के इतिहास को देखते हुए, यह बैठक आलोचनाओं का केंद्र बन गई है। ममनूल हक़, जिन्हें शेख हसीना सरकार के दौरान गिरफ्तार किया गया था, हाल ही में अंतरिम सरकार द्वारा रिहा कर दिए गए हैं।

अंतरिम सरकार ने न सिर्फ ममनूल हक़ बल्कि जमात-ए-इस्लामी, जो कि देश की सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी है, पर लगा प्रतिबंध भी हटा दिया है। इन कदमों से भारत में चिंता बढ़ गई है, खासकर हिंदू समुदाय पर संभावित हमलों के मद्देनजर। हाल ही में, सरकार ने अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी को भी रिहा कर दिया, जो कि अल-कायदा से जुड़े एक आतंकी संगठन के प्रमुख हैं।

हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम की स्थापना 2010 में हुई थी, और यह संगठन अक्सर प्रगतिशील मूल्यों का विरोध करता है और देश में इस्लामिक क्रांति की वकालत करता है। ममनूल हक़, 1973 में जन्मे, अपने कट्टर विचारों और भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते हैं। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हक़ की रिहाई और यूनुस के साथ उनकी मुलाकात बांग्लादेश की अस्थिर राजनीतिक स्थिति को दर्शाती है।

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