सीतारमण ने बजट में पक्षपात के आरोपों का जवाब दिया
हाल ही में लोकसभा सत्र में, संघीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के आरोपों का खंडन किया कि वर्तमान संघीय बजट भाजपा के सहयोगियों, विशेषकर बिहार में जद(यू) और आंध्र प्रदेश में टीडीपी को लाभ पहुंचाता है। सीतारमण ने स्पष्ट किया कि बजट में किसी राज्य का नाम न होने का मतलब यह नहीं कि वह राज्य बजट से बाहर है।
बजट में राज्यों के नाम न आने का ऐतिहासिक संदर्भ
सीतारमण ने बताया कि पूर्व सरकारों के दौरान भी ऐसा हुआ है। उन्होंने खुलासा किया कि 2009-10 के बजट में 26 राज्यों का नाम नहीं था। यह केवल वर्तमान प्रशासन की विशेषता नहीं है; यूपीए काल में भी बजट भाषणों में बड़ी संख्या में राज्यों के नाम नहीं थे। उदाहरण के लिए, 2004-05 का बजट 17 राज्यों का नाम नहीं लेता, जबकि 2005-06 में 18 और 2007-08 में 16 राज्यों का नाम नहीं था।
प्रमुख राज्यों के लिए आवंटन और समर्थन
विपक्ष की आलोचनाओं के बावजूद, सीतारमण ने विभिन्न राज्यों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय आवंटन पर प्रकाश डाला। आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। बिहार को सड़क कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए 26,000 करोड़ रुपये मिले हैं। इसके अलावा, जम्मू और कश्मीर के लिए 17,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें से 12,000 करोड़ रुपये पुलिस के लिए और 5,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप में प्रदान किए गए हैं।
विपक्ष के आरोप और सरकार की स्थिति
विपक्ष का कहना है कि ये आवंटन भाजपा के सहयोगियों को लाभ पहुंचाते हैं और राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। सीतारमण ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि बजट सभी राज्यों के विकास का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, न कि केवल राजनीतिक संबद्धता वाले राज्यों के लिए।
निष्कर्ष
सीतारमण का बचाव बजट आवंटन और ऐतिहासिक प्रथाओं पर एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह बहस बजटीय राजनीति की जटिलताओं और सरकारी खर्च की सतत निगरानी को उजागर करती है।
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