सहारा रेगिस्तान में 50 साल बाद दुर्लभ बारिश, झील भरी

3 Min Read
सहारा रेगिस्तान में 50 साल बाद दुर्लभ बारिश, झील भरी

In Shorts:

  1. सहारा रेगिस्तान में दुर्लभ बारिश ने सूखी झीलों को पानी से भर दिया।
  2. जलवायु परिवर्तन और वातावरणीय बदलावों से इस बारिश का संबंध है।
  3. बारिश से सुन्दर दृश्य बने, पर जान-माल का भी नुकसान हुआ।

सहारा रेगिस्तान में 50 साल बाद दुर्लभ बारिश: सूखी झीलों में फिर आया पानी

दुनिया के सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक सहारा रेगिस्तान में दुर्लभ बारिश हुई, जिससे सूखी झीलें पानी से भर गईं। यह अद्भुत दृश्य देखने को मिला जब 50 साल से सूखी पड़ी इरिकी झील पानी से भर गई। बारिश ने रेगिस्तान की सूखी रेत को हरे-भरे इलाकों में बदल दिया। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह अप्रत्याशित बारिश जलवायु परिवर्तन और वातावरणीय स्थितियों में बदलाव का परिणाम है।

सहारा की दुर्लभ बारिश और इसके प्रभाव

सहारा रेगिस्तान में हुई दुर्लभ बारिश ने लोगों और मौसम वैज्ञानिकों को चौंका दिया। सितंबर में हुई इस भारी बारिश ने कई क्षेत्रों में वार्षिक औसत से अधिक वर्षा कर दी। टाटा में केवल 24 घंटे में 100 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। 50 साल से सूखी पड़ी इरिकी झील अब पानी से लबालब है, जिससे रेगिस्तान में तालाब और हरे-भरे दृश्य उत्पन्न हो गए हैं।

मौसम वैज्ञानिकों ने इस अप्रत्याशित बदलाव को एक एक्स्ट्राट्रॉपिकल तूफान का परिणाम बताया। इस घटना ने जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को उजागर किया, जिससे दुनिया के सबसे शुष्क क्षेत्रों में भी बारिश हो रही है। मौसम विशेषज्ञ हुसैन यौबे के अनुसार, वातावरण में नमी बढ़ने से आने वाले समय में और अधिक तूफान आ सकते हैं, जिससे सहारा क्षेत्र का भविष्य बदल सकता है।

दुर्लभ बारिश के दीर्घकालिक प्रभाव और चुनौतियाँ

हालांकि इस बारिश से सहारा में जीवन को कुछ राहत मिली है, लेकिन इसने कई चुनौतियाँ भी पैदा की हैं। माघरेब देशों में यह बारिश जानलेवा साबित हुई, जिसमें 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई किसानों की फसलें नष्ट हो गईं। जबकि कुछ क्षेत्रों में जलस्रोतों को फिर से भरने में मदद मिली है, दीर्घकालिक सूखे पर इसका प्रभाव अनिश्चित है।

मारोकी सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों के लिए आपातकालीन राहत कोष जारी किया है, जो पिछले वर्ष के भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

क्या सहारा में बारिश अब सामान्य हो सकती है?

इस दुर्लभ घटना का अध्ययन करते हुए, वैज्ञानिक चिंतित हैं कि यह भविष्य में सहारा क्षेत्र के मौसम पर क्या प्रभाव डालेगा। बड़ी मात्रा में पानी का वाष्पीकरण क्षेत्र में और अधिक तूफानों को जन्म दे सकता है। हालांकि, यह अनिश्चित है कि इन तूफानों की आवृत्ति कितनी होगी और यह उन लोगों पर कैसा प्रभाव डालेगा जो रेगिस्तानी इलाकों में रहते और खेती करते हैं।


Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

आख़िर तक मुख्य संपादक
Share This Article
Leave a Comment

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Recipe Rating




Exit mobile version