सीताराम येचुरी का निधन, शरीर AIIMS को दान किया गया

आख़िर तक
2 Min Read
सीताराम येचुरी का निधन, शरीर AIIMS को दान किया गया

सीपीआई (एम) के महासचिव और वामपंथी राजनीति के प्रमुख नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद 72 साल की उम्र में निधन हो गया। उनका शरीर नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में शोध और शिक्षा के लिए दान कर दिया गया।

येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में हुआ था। वे भारतीय राजनीति के एक प्रमुख चेहरा थे, जो गठबंधन राजनीति की रणनीति और मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपने अडिग समर्पण के लिए जाने जाते थे। उनका राजनीतिक सफर 1974 में छात्र संघ से शुरू हुआ और उन्होंने जल्द ही अपनी पहचान बनाई।

- विज्ञापन -

1974 में उन्होंने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से जुड़कर राजनीति में कदम रखा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ के तीन बार अध्यक्ष और SFI के अखिल भारतीय अध्यक्ष भी रहे। 1984 में उन्हें सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति में चुना गया और जल्द ही पॉलिट ब्यूरो के सदस्य बने।

1992 से तीन दशकों तक पॉलिट ब्यूरो के सदस्य रहने के बाद, वे 2015 में प्रकाश करात के बाद महासचिव बने। 2018 और 2022 में उन्हें फिर से इस पद पर चुना गया।

- विज्ञापन -

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीताराम येचुरी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “वो वामपंथ के एक अग्रणी नेता थे और विभिन्न राजनीतिक धाराओं के बीच जुड़ने की उनकी क्षमता थी।”

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी येचुरी के निधन पर शोक जताया और उन्हें भारत के विचार का रक्षक बताया। “हमारे बीच होने वाली लंबी चर्चाओं को मैं याद करूंगा,” उन्होंने कहा।

- विज्ञापन -

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “राष्ट्रीय राजनीति के लिए येचुरी का निधन एक बड़ी क्षति है।”

येचुरी का पार्थिव शरीर AIIMS को दान किया गया, जो उनकी विचारधारा के अनुरूप मानवता और समाज के प्रति उनका समर्पण दर्शाता है। उनके इस निर्णय से चिकित्सा क्षेत्र में शोध और शिक्षा को बड़ा योगदान मिलेगा।


Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

author avatar
आख़िर तक मुख्य संपादक
Share This Article
Leave a Comment

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

करवा चौथ: महत्व और उत्सव खोया हुआ मोबाइल कैसे ढूंढे: आसान और तेज़ तरीके