वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार: ‘सिर्फ बैठकें हो रही हैं, कोई ठोस कदम नहीं’
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या हर सर्दी में गंभीर हो जाती है, और इस बार भी वायु गुणवत्ता के खराब होने की आशंका है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, केवल बैठकें हो रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) और पंजाब-हरियाणा सरकारों पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने किसानों के खिलाफ पराली जलाने के मामलों में कोई दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की। कोर्ट ने कहा, “29 अगस्त को आखिरी बैठक हुई थी, और उसमें पराली जलाने पर कोई चर्चा नहीं की गई। पूरे सितंबर में कोई बैठक नहीं हुई। कई प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य बैठक में मौजूद नहीं थे। यह केवल कागजों पर है, जमीनी स्तर पर कोई जागरूकता नहीं है।”
न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि IPS अधिकारी जो नियम लागू कर सकते हैं, वे बैठकें करने में असफल रहे हैं। “अगर समिति बैठक नहीं करेगी तो कौन कार्रवाई करेगा?” कोर्ट ने पूछा। उन्होंने आगे कहा, “अधिकारी किसी को दंडित नहीं करना चाहते। वे केवल बैठकें करना चाहते हैं। सच्चाई यह है कि बैठकें हो रही हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा।”
पंजाब सरकार ने अदालत को बताया कि राज्य को केंद्र और दिल्ली सरकार से पराली प्रबंधन मशीनों के लिए धन की आवश्यकता है। हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि पराली जलाने के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि अधिकारी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में व्यस्त हैं।
केंद्र सरकार ने किसानों को पराली जलाने के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए “मुलायम प्रावधानों” का उपयोग करने की बात कही। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, “केवल नाममात्र के जुर्माने क्यों लगाए जा रहे हैं? कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?”
अदालत ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग में दो पदों के खाली होने पर भी ध्यान दिया और कहा कि अगर केंद्र सरकार इन पदों को जल्द नहीं भरती तो अदालत हस्तक्षेप करेगी।
अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।
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