डोनाल्ड ट्रंप के पुन: चुनाव से एच-1बी वीज़ा पर असर

आख़िर तक
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डोनाल्ड ट्रंप का नौकरशाही पर हमला: क्या DOGE करेगा बदलाव?

आख़िर तक – संक्षेप में

  1. डोनाल्ड ट्रंप के पुन: चुनाव के बाद एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम में कड़े बदलाव की संभावना है।
  2. 2022 में, 77% एच-1बी वीज़ा भारतीयों को मिले थे।
  3. ट्रंप ने पहले कार्यकाल में एच-1बी वीज़ा पर सख्त नीतियां लागू कीं थीं।
  4. 2024 के चुनाव में ट्रंप ने फिर से सख्त आव्रजन नियमों का प्रस्ताव दिया।
  5. सख्त नीतियों से भारतीय आईटी पेशेवरों और तकनीकी उद्योग पर प्रभाव पड़ सकता है।

आख़िर तक – विस्तार से

डोनाल्ड ट्रंप के 2025 में पुनः चुनाव जीतने के साथ ही, एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम के भविष्य पर चिंताएं फिर से बढ़ गई हैं। यह वीज़ा अमेरिका में कुशल विदेशी पेशेवरों के लिए काम पाने का प्रमुख मार्ग है, जिसमें भारतीयों का बड़ा योगदान है। 2022 में, कुल एच-1बी वीज़ा का 77% भारतीय नागरिकों को मिला, जो इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण स्थिति को दर्शाता है।

ट्रंप की आव्रजन नीतियों का इतिहास
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में कई सख्त आव्रजन नीतियां लागू कीं, जिनमें एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम का विरोध शामिल था। इसके तहत वीज़ा आवेदन प्रक्रिया में जटिलताएं और देरी बढ़ गईं।

  • वीज़ा अस्वीकृति दर में वृद्धि: 2015 में 6% से बढ़कर 2018 में 24% और 2020 में 30% हो गई।
  • वेतन मानकों में वृद्धि: 2020 में एक अस्थायी नियम ने विदेशी कामगारों के लिए वेतन स्तरों को 43% से 71% तक बढ़ा दिया था।
  • वीज़ा संख्या सीमित करने की संभावना: ट्रंप ने उन्नत डिग्री वाले आवेदकों को प्राथमिकता देने की योजना बनाई थी।

आगे की योजनाएं
2024 में चुनाव प्रचार के दौरान, ट्रंप ने और कड़े नियमों का प्रस्ताव रखा। इससे अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन तकनीकी क्षेत्र जैसे उद्योगों पर असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नए नियम एच-1बी वीज़ा की अवधि को सीमित कर सकते हैं, जिससे कंपनियों और कामगारों के बीच अनिश्चितता बढ़ेगी।

भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव
भारतीय नागरिकों के लिए कड़े नियम नौकरी के अवसरों को सीमित कर सकते हैं। परिवारों के पुनर्मिलन की प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है।

आवेदकों को क्या करना चाहिए?
आव्रजन विशेषज्ञों से परामर्श लें और अन्य वीज़ा विकल्पों की खोज करें।

याद रखने योग्य मुख्य बातें

  • ट्रंप का पुन: चुनाव एच-1बी वीज़ा प्रक्रिया को कड़ा बना सकता है।
  • भारतीय आईटी पेशेवरों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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