Aakhir Tak – In Shorts
- 2025 में नई जनगणना का आगाज़: भारत की अगली जनगणना 2025 में शुरू होगी और 2026 तक चलेगी, जिसमें पहली बार धर्म और जातियों पर विस्तृत डेटा संग्रह होगा।
- जाति आधारित जनगणना पर दबाव: विभिन्न पार्टियों ने जाति जनगणना की मांग की है, जिसमें बिहार की तरह केंद्रीय स्तर पर भी इस डेटा का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है।
- धार्मिक और जातीय आंकड़ों का संकलन: इस जनगणना में धर्म, वर्ग और वर्गों के साथ-साथ अलग-अलग धार्मिक पंथों से जुड़ी जानकारी भी शामिल की जाएगी।
Aakhir Tak – In Depth
भारत सरकार ने 2025 में अगली राष्ट्रीय जनगणना शुरू करने का निर्णय लिया है, जो 2026 में संपन्न होगी। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में होने वाली जनगणना स्थगित कर दी गई थी, जिसके परिणामस्वरूप अब जनगणना चक्र में बदलाव हुआ है। इसके तहत अब जनगणना प्रत्येक दशक में होने के बजाय 2035, 2045 और 2055 में होगी। आगामी जनगणना में, पहली बार धर्म, वर्ग और जाति के साथ-साथ धार्मिक पंथों से संबंधित डेटा भी संकलित किया जाएगा, जो जनसंख्या के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करने में सहायक होगा।
जाति आधारित जनगणना की मांग
जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सहित कई दलों ने जाति जनगणना का समर्थन किया है। जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद के अनुसार, बिहार सरकार ने पहले ही जाति सर्वेक्षण किया है, जिसका उपयोग सामाजिक और आर्थिक नीतियों को मजबूत करने में किया जा रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी की सांसद शंभवी चौधरी ने भी मांग की कि केंद्र को पूरे देश में जाति जनगणना करनी चाहिए ताकि नीतियों को सटीक रूप से लागू किया जा सके।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने जाति जनगणना पर केंद्र की अनदेखी को “ओबीसी समुदायों के साथ विश्वासघात” बताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जाति जनगणना को नजरअंदाज करना उनके हितों की उपेक्षा करना है। टैगोर ने अन्य राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर जनता के साथ खड़े हों।
धार्मिक जनसांख्यिकी
अंतिम जनगणना के अनुसार 2011 में हिंदू जनसंख्या 79.8%, मुस्लिम 14.2%, ईसाई 2.3%, और सिख 1.7% थी। आगामी जनगणना में धर्म और जातीय आंकड़ों का विस्तार, केंद्र सरकार को नीतिगत फैसलों में सहायक सिद्ध होगा।
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