कर्नाटक में कन्नड़िगास के लिए निजी कंपनियों में आरक्षण बिल पर कांग्रेस सरकार के यू-टर्न को लेकर बीजेपी ने आलोचना की है। विपक्ष के नेता आर अशोक ने कैबिनेट की तुलना मुहम्मद बिन तुगलक की प्रशासन से की। इस विवाद ने कर्नाटक विधानसभा में गर्मागर्म बहस छेड़ दी है।
विवाद
आर अशोक ने आरक्षण बिल पर कांग्रेस सरकार की असंगत स्थिति की आलोचना की। शुरू में, सरकार ने कन्नड़िगास के लिए 100% आरक्षण का निर्णय घोषित किया। हालांकि, इस निर्णय को बाद में वापस ले लिया गया, जिससे भ्रम और आलोचना हुई।
तुगलक दरबार का संदर्भ
अशोक ने स्थिति की तुलना “तुगलक दरबार” से की, जिसमें मुहम्मद बिन तुगलक की अनियमित नीतियों का उल्लेख किया। उन्होंने सरकार पर बिना पूरी चर्चा के जल्दबाजी में निर्णय लेने का आरोप लगाया। इस तुलना ने राजनीतिक बहस को और तीव्र कर दिया है।
बीजेपी की चेतावनी
बीजेपी ने कांग्रेस सरकार को चेतावनी दी कि अगर उसने बिल पेश करने में विफलता दिखाई तो उसे जन आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। कर्नाटक राज्य रोजगार के स्थानीय उम्मीदवारों का उद्योगों, फैक्ट्रियों और अन्य प्रतिष्ठानों में बिल, 2024 प्रबंधन भूमिकाओं में 50% स्थानीय उम्मीदवारों और गैर-प्रबंधन पदों में 75% उम्मीदवारों को अनिवार्य करता है।
सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि मसौदा बिल अभी भी तैयारी में है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे को हल करने के लिए व्यापक चर्चा होगी।
उद्योग जगत के नेताओं की चिंताएँ
प्रस्तावित बिल को उद्योग जगत के नेताओं से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। उन्होंने चेतावनी दी कि बिल से राज्य में प्रतिभा अधिग्रहण और निवेश प्रभावित होगा। इन चिंताओं ने बिल के आसपास के विवाद को और बढ़ा दिया है।
कर्नाटक नौकरियों कोटा बिल पर बहस स्थानीय रोजगार नीतियों और उद्योग की जरूरतों के संतुलन की चुनौतियों को उजागर करती है। सरकार की स्थिति से निपटने के तरीके ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है, जिसमें बीजेपी और उद्योग जगत के नेताओं ने जोरदार विरोध किया है। इस विवाद का परिणाम राज्य के रोजगार और निवेश वातावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।
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