हिंदू एकजुट हों तो विश्व का कल्याण: मोहन भागवत

आख़िर तक
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हिंदू एकजुट हों तो विश्व का कल्याण: मोहन भागवत

आख़िर तक – एक नज़र में

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सभी हिंदू एकजुट हों तो विश्व का कल्याण होगा। उन्होंने यह बात केरल के पत्तनमतिट्टा में हिंदू एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। भागवत ने कहा कि सभी हिंदुओं को जाति, क्षेत्र या भाषा के बावजूद एक समान माना जाना चाहिए। उन्होंने समाज की शक्ति उसकी एकता में बताई। भागवत ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है।

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आख़िर तक – विस्तृत समाचार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने सुझाव दिया कि यदि सभी हिंदू जाति, क्षेत्र और भाषा की परवाह किए बिना एकजुट होते हैं तो दुनिया को फायदा होगा। उन्होंने यह टिप्पणी केरल के पत्तनमतिट्टा में हिंदू एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए की।

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उन्होंने कहा, ” हिंदू समाज (समुदाय) तभी पनप सकता है जब वह एकजुट हो। सभी हिंदुओं को उनकी जाति, क्षेत्र या भाषा के बावजूद एक समान माना जाना चाहिए। यदि सभी हिंदू एकजुट होते हैं, तो इससे दुनिया को लाभ होगा।”

RSS प्रमुख ने आगे कहा कि एक समाज की ताकत उसकी एकता में होती है, उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति पूरी तरह से अपनी ताकत पर निर्भर नहीं रह सकता है।

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उन्होंने कहा, ” हिंदू समाज के लिए एकता बहुत महत्वपूर्ण है, इससे उसकी शक्ति (ताकत) बढ़ेगी। एक ऐसी दुनिया में जहां एक समाज एकजुट है, वह पनपेगा अन्यथा वह ढह जाएगा। इसे बताने का कोई दूसरा तरीका नहीं है। इतिहास इसका गवाह है।”

RSS प्रमुख की नवीनतम टिप्पणी उनके उस दावे के एक महीने से भी कम समय बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक के दिन “सही स्वतंत्रता” प्राप्त की थी।

इंदौर में एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि अभिषेक के दिन को “प्रतिष्ठा द्वादशी” के रूप में मनाया जाना चाहिए, जो सदियों के “परचक्र” (विदेशी आक्रमण) के बाद भारत की संप्रभुता की स्थापना का प्रतीक है।

इस बयान के जवाब में, शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने कहा कि न तो भागवत ने संविधान लिखा है, और न ही RSS राम लला को लाया है।

भागवत के इस बयान पर कई राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने इस बयान का समर्थन किया है, जबकि कुछ लोगों ने इस पर सवाल उठाए हैं।

आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

मोहन भागवत ने हिंदू एकता पर जोर दिया और कहा कि इससे दुनिया का कल्याण होगा। उनका कहना है कि समाज की शक्ति उसकी एकता में होती है। भागवत के इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आई हैं।


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आख़िर तक मुख्य संपादक
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