खड़गे की टिप्पणी से राज्यसभा में हंगामा

आख़िर तक
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खड़गे की टिप्पणी से राज्यसभा में हंगामा

आख़िर तक – एक नज़र में

  • राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी से ज़ोरदार हंगामा।
  • NEP पर बहस के दौरान खड़गे ने की थी विवादास्पद टिप्पणी।
  • भाजपा सांसदों ने खड़गे पर संसदीय भाषा का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
  • खड़गे ने सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए मांगी माफी।
  • तीन-भाषा फॉर्मूले पर तमिलनाडु और केंद्र के बीच विवाद जारी।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

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राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर बहस के दौरान खड़गे की एक विवादास्पद टिप्पणी से सदन में हंगामा मच गया। भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया कि खड़गे ने अध्यक्ष के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया। खड़गे ने स्पष्ट किया कि उनका इशारा सरकार की नीतियों की ओर था। इस घटना के बाद सदन में माफी की मांग उठी।

NEP पर विवाद

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यह हंगामा तब शुरू हुआ जब राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू हुई। विपक्ष, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से माफी की मांग कर रहा था। मंत्री ने DMK सांसदों पर “असभ्य” टिप्पणी की थी, जिसके कारण तीन-भाषा नीति पर विवाद पैदा हो गया था।

उपसभापति हरिवंश ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को चर्चा शुरू करने के लिए कहा, लेकिन खड़गे ने शिक्षा मंत्री की टिप्पणी का मुद्दा उठाया। खड़गे ने कहा, “यह तानाशाही है।”

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खड़गे ने एक अनौपचारिक हिंदी अभिव्यक्ति का उपयोग करते हुए संकेत दिया कि विपक्ष NEP के मुद्दे पर सरकार को घेरेगा, जिससे सत्ता पक्ष में हंगामा मच गया। सदन के नेता जेपी नड्डा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि खड़गे की टिप्पणी निंदनीय और असंसदीय है। सदन में तनाव बढ़ता गया।

खड़गे की माफी

हंगामे के बीच, खड़गे ने उपसभापति से माफी मांगी। उन्होंने कहा, “मैंने अध्यक्ष के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। यदि उपसभापति को मेरी बातों से ठेस पहुंची है, तो मैं माफी मांगता हूं। लेकिन मैं सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहा था।”

बाद में, खड़गे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि वह प्रधान की उन टिप्पणियों का उल्लेख कर रहे थे जिनसे “देश के एक हिस्से, उसके लोगों के एक वर्ग के आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है।”

खड़गे ने कहा, “अगर आप कहते हैं कि वे असंस्कृत और असभ्य हैं, तो मंत्री से इस्तीफा देने के लिए कहें। मोदी सरकार देश को विभाजित करने की बात कर रही है। वे राष्ट्र को तोड़ने की बात कर रहे हैं।”

तीन-भाषा फार्मूला

विवाद के केंद्र में NEP के तहत “तीन-भाषा फार्मूला” है जिसे तमिलनाडु ने लागू करने से इनकार कर दिया है। DMK-कांग्रेस सरकार लंबे समय से इसे राज्य पर हिंदी थोपने के प्रयास के रूप में देखती रही है। यह विवाद कई सालों से चल रहा है। तमिलनाडु सरकार अपनी द्विभाषी नीति पर कायम है।

आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी से राज्यसभा में हंगामा हुआ।
  • NEP पर बहस के दौरान खड़गे ने विवादास्पद टिप्पणी की।
  • भाजपा ने खड़गे पर असंसदीय भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया।
  • खड़गे ने सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए माफी मांगी।
  • तीन-भाषा फॉर्मूले पर तमिलनाडु और केंद्र के बीच विवाद जारी है।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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