बीजेपी की हरियाणा में तीसरी जीत की कोशिश: तीन प्रमुख कारक

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बीजेपी की हरियाणा में तीसरी जीत की कोशिश: तीन प्रमुख कारक

हरियाणा में तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने चुनाव प्रचार में तीन प्रमुख कारकों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। राज्य में चुनाव 5 अक्टूबर को होने हैं, और चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में बीजेपी सत्ता बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, हालांकि सरकार के खिलाफ नाराजगी का माहौल साफ नजर आ रहा है।

बीजेपी के इस चुनावी अभियान में ग्रामीण इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जबकि दलित और गैर-जाट मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिशें भी की जा रही हैं। इसके अलावा, कांग्रेस के भीतर चल रहे आंतरिक विवादों से बीजेपी को भी फायदा होने की उम्मीद है।

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बीजेपी का ग्रामीण इलाकों पर फोकस

बीजेपी ने अपने चुनावी अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया है। पार्टी का लक्ष्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं के जरिए गांव-गांव तक पहुंच बनाना है। खासकर कांग्रेस द्वारा लोकसभा चुनावों में 45 ग्रामीण सीटें जीतने के बाद बीजेपी की नजर ग्रामीण वोटों पर है।

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आरएसएस ने सितंबर से ही ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए 150 कार्यकर्ताओं की टीम को हर जिले में तैनात किया है। ये कार्यकर्ता मंडल कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर पंचायत स्तर पर चौपालों का आयोजन कर रहे हैं ताकि ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं को पार्टी की ओर आकर्षित किया जा सके।

गैर-जाट और दलित वोटों पर बीजेपी की नजर

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चुनाव से पहले बीजेपी गैर-जाट मतदाताओं, जिन्हें 36 बिरादरी के नाम से जाना जाता है, को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही दलित वोटों में विभाजन का लाभ उठाने की योजना बना रही है।

अगर बीजेपी 36 बिरादरी के मतदाताओं को एकजुट करने में सफल होती है, तो इससे कांग्रेस के ग्रामीण वोट बैंक में सेंध लग सकती है। इसके अलावा, बीजेपी को उम्मीद है कि दलित वोटों में विभाजन का फायदा उसे चुनाव में आगे बढ़ा सकता है।

कांग्रेस में आंतरिक संघर्ष

कांग्रेस के भीतर चल रहे आंतरिक संघर्षों से भी बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है। कांग्रेस दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है—एक दलित नेता कुमारी शैलजा का धड़ा और दूसरा भूपिंदर सिंह हुड्डा का धड़ा।

शैलजा के खेमे का मानना है कि हुड्डा गुट उनके वफादार उम्मीदवारों के खिलाफ कांग्रेस के विद्रोहियों को खड़ा कर उनकी जीत की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा रहा है।


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आख़िर तक मुख्य संपादक
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