क्या भारत के पास अपना ‘आयरन डोम’ है?

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क्या भारत के पास अपना 'आयरन डोम' है?

क्या भारत के पास मिसाइलों के हमलों से बचाव के लिए कोई ‘आयरन डोम’ है?

ईरान ने 1 अक्टूबर को इज़राइल पर लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी। यह यहूदी राष्ट्र के प्रसिद्ध वायु रक्षा प्रणाली के लिए सबसे बड़ा परीक्षण था। इस हमले में हाइपरसोनिक मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया गया। यह सवाल उठता है: क्या भारत की वायु रक्षा प्रणाली ऐसे हमलों का सामना कर सकती है?

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ईरान ने इज़राइल के खिलाफ अपने युद्ध का एक नया अध्याय शुरू करते हुए 1 अक्टूबर को लगभग 200 मिसाइलें दागी। यह हमला, जो तेल अविव के जैसे प्रमुख इज़राइली शहरों पर भी लगा, इज़राइल के लिए एक गंभीर खतरा था।

ईरान के मिसाइल हमले ने कई प्रश्न उठाए हैं, विशेष रूप से इज़राइल के ‘आयरन डोम’ जैसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों की प्रभावशीलता के बारे में। यह घटना भारत के लिए भी चिंता का विषय है, जो अपने पड़ोसी दुश्मनों से खतरे का सामना कर रहा है।

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ईरानी मिसाइल हमले का विश्लेषण

ईरान का यह हमला इज़राइल द्वारा प्रमुख आतंकवादी नेताओं को समाप्त करने के बाद किया गया था। ईरान ने इस हमले में चार अलग-अलग प्रकार की बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च की थीं। इन मिसाइलों में फत्ताह-2 और शाहब-3 शामिल थे, जो हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइलें हैं और ध्वनि की गति से पांच गुना तेज यात्रा कर सकती हैं।

इज़राइल की वायु रक्षा प्रणाली की क्षमता

इज़राइल की वायु रक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे उन्नत प्रणालियों में से एक है। इसका आयरन डोम प्रणाली कम दूरी की मिसाइलों को रोकने के लिए डिज़ाइन की गई है। हालाँकि, इस हालिया ईरानी हमले ने इसे कड़ी परीक्षा में डाला है।

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भारत की रक्षा क्षमताओं का आकलन

भारत ने भी अपनी वायु रक्षा क्षमताओं में सुधार करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। भारत के पास घरेलू रूप से विकसित प्रणाली जैसे पृथ्वी एयर डिफेंस और एडवांस्ड एयर डिफेंस हैं। इसके अलावा, भारत ने रूस से एस-400 जैसी उन्नत प्रणाली भी खरीदी है।

हालांकि, भारतीय वायु रक्षा प्रणाली का विकास चल रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या भारत ईरान के हमले जैसी स्थिति में खुद को सुरक्षित रख सकता है।


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