आख़िर तक – एक नज़र में
- राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर एक नया विवाद उभरा है।
- एक याचिका में दरगाह को प्राचीन शिव मंदिर बताया गया है।
- इसी बीच, संभल में जामा मस्जिद विवाद ने सांप्रदायिक तनाव बढ़ा दिया।
- पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ की टिप्पणी का संदर्भ भी इन विवादों में दिया जा रहा है।
- सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर शांति और निष्पक्षता की सलाह दी है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
अजमेर शरीफ विवाद की पृष्ठभूमि
सितंबर 2024 में हिंदू सेना नेता विष्णु गुप्ता ने अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर घोषित करने की मांग की। इस याचिका में ASI से ऐतिहासिक सर्वेक्षण की मांग की गई है। यह मामला धार्मिक स्थलों के ऐतिहासिक दावों की एक कड़ी में जुड़ा हुआ है।
संभल में हिंसा और विवाद
संभल में नवंबर 19 को शाही जामा मस्जिद पर सर्वेक्षण का आदेश दिया गया। इस सर्वेक्षण के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसमें पांच लोग मारे गए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष हुआ, जिससे सांप्रदायिक तनाव और बढ़ गया।
कानूनी विवाद और पूर्व CJI चंद्रचूड़ का बयान
Gyanvapi मस्जिद के मामले में पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने कहा था कि पूजा स्थल अधिनियम ऐतिहासिक जांच को नहीं रोकता। अब इसी टिप्पणी का उपयोग अदालतें इन नए मामलों में कर रही हैं।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- अजमेर और संभल विवाद धार्मिक और कानूनी पेचीदगियों को दर्शाते हैं।
- पूर्व CJI की टिप्पणियों का कानूनी और सामाजिक प्रभाव स्पष्ट है।
- शांति बनाए रखने और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा आवश्यक है।
Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें
Subscribe to get the latest posts sent to your email.