अजमेर सेक्स केस: 32 साल बाद 6 को आजीवन कारावास की सजा

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अजमेर सेक्स केस: 32 साल बाद 6 को आजीवन कारावास की सजा

एक महत्वपूर्ण फैसले में, अजमेर सेक्स केस में 32 साल बाद छह लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इस कांड ने 1992 में देश को हिलाकर रख दिया था, जिसमें सौ से अधिक स्कूली लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनका यौन शोषण किया गया था।

मामले की पृष्ठभूमि:
अजमेर सेक्स केस 1992 में सामने आया था, जिसमें अजमेर, राजस्थान की स्कूली और कॉलेज की लड़कियों का शोषण किया गया था। यह मामला पहली बार पत्रकार संतोष गुप्ता ने दैनिक नवज्योति में रिपोर्ट किया था, जिसमें उन्होंने खुलासा किया था कि अजमेर दरगाह से जुड़े कुछ प्रभावशाली लोग इन लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनका यौन शोषण कर रहे थे।

अपराध का विवरण:
यह कांड एक सुनियोजित गिरोह द्वारा संचालित था, जिसमें प्रभावशाली लोगों ने अजमेर के प्रमुख स्कूलों की लड़कियों को निशाना बनाया। उन पर दबाव डालने के लिए उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया। ये तस्वीरें एक फोटो लैब द्वारा पत्रकार संतोष गुप्ता को लीक की गई थीं, जिसके बाद पहली रिपोर्ट प्रकाशित हुई। 17 से 20 साल की उम्र की इन लड़कियों का यौन शोषण किया गया और उन्हें धमकाकर चुप कराया गया।

समुदाय पर प्रभाव:
इस कांड के खुलासे के बाद अजमेर शहर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और शहर को दो दिनों के लिए बंद करना पड़ा। इसमें शामिल प्रभावशाली व्यक्तियों, जिनमें राजनीतिक नेता और अजमेर दरगाह से जुड़े खादीम भी शामिल थे, ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया। प्रारंभिक जांच को दबाने के प्रयासों के बावजूद, तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत द्वारा इस मामले को CID को सौंप दिया गया।

कानूनी संघर्ष:
अजमेर सेक्स केस में कानूनी कार्यवाही लंबी और जटिल रही। 1998 में, एक सत्र न्यायालय ने आठ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, हालांकि राजस्थान उच्च न्यायालय ने बाद में उनमें से चार को बरी कर दिया। 2003 में, सर्वोच्च न्यायालय ने अन्य चार की सजा को कम कर दिया। देरी के बावजूद, Pocso अदालत का हालिया निर्णय, जिसमें छह और आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, इस मामले में एक महत्वपूर्ण विकास है।

पीड़ितों का संघर्ष:
अजमेर सेक्स केस के पीड़ितों ने भारी मानसिक आघात का सामना किया, जिसमें से कई ने आत्महत्या कर ली। वर्षों के बाद, कई पीड़ितों ने अपनी जिंदगी फिर से शुरू कर दी है, लेकिन उनके मन में अभी भी उस भयानक घटना की गहरी छाप है। 2022 में एक पीड़िता, जो अब दादी बन चुकी है, ने कहा था, “मैं अब दादी बन गई हूं, मुझे अकेला छोड़ दो।”

निष्कर्ष:
अजमेर सेक्स केस में हालिया सजा इस बात की याद दिलाती है कि न्याय में देरी हो सकती है, लेकिन वह अवश्य मिलता है। यह मामला जिम्मेदारी और कमजोर व्यक्तियों की सुरक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। 32 साल बाद इन छह लोगों की सजा पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए एक राहत है।

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