बांग्लादेश में हिंदुओं पर नौकरी से इस्तीफा का दबाव, ‘लव ट्रैप’ का प्रोपेगेंडा

आख़िर तक
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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा: 2200 मामले

आख़िर तक – इन शॉर्ट्स

  1. बांग्लादेश में हिंदुओं को सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देने का दबाव है।
  2. कट्टरपंथी समूह ‘लव ट्रैप’ जैसे प्रोपेगेंडा से हिंदू समुदाय को निशाना बना रहे हैं।
  3. धार्मिक अल्पसंख्यक अपने लिए सुरक्षा और न्याय की मांग कर रहे हैं।

आख़िर तक – इन डेप्थ

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार और भेदभाव के मामलों में उछाल देखने को मिल रहा है। ख़बरों के मुताबिक, विशेष रूप से शिक्षा संस्थानों में हिंदुओं पर सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देने का दबाव डाला जा रहा है। इसके अलावा, कट्टरपंथी संगठनों द्वारा एक व्यापक प्रोपेगेंडा अभियान चलाया जा रहा है जिसमें हिंदू पुरुषों पर मुस्लिम महिलाओं को ‘लव ट्रैप’ में फंसाने का आरोप लगाया जा रहा है।

नवंबर 2024 में सत्ता में आए मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाले अंतरिम सरकार के बाद कट्टरपंथी संगठनों ने अल्पसंख्यकों पर हमला तेज कर दिया है। धर्म के आधार पर हो रहे इस भेदभाव में हिन्दू प्रोफेसरों और पुलिस कर्मियों को नौकरी से हटाया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, चिटगांव विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर रंतु दास ने दबाव में आकर इस्तीफा दे दिया, और उनका इस्तीफा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

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इस तरह के भेदभाव ने हिंदू समुदाय को न केवल नौकरी बल्कि समाज में भी असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है। इन घटनाओं के विरोध में चटगांव के लालदिघी मैदान पर संतन जागरण मंच द्वारा एक विशाल रैली का आयोजन किया गया।

समुदाय ने अल्पसंख्यक सुरक्षा कानून, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की स्थापना, और सरकारी त्योहारों में अवकाश जैसी मांगों के साथ 8 सूत्री मांग पत्र भी प्रस्तुत किया है।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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