क्या चीन भारत के शेयर बाजार की दीवाली चमक छीन रहा है?

आख़िर तक
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भारत ने लद्दाख में चीन द्वारा नए काउंटियों की स्थापना का कड़ा विरोध किया

आख़िर तक – इन शॉर्ट्स:

  1. अक्टूबर 2024 में विदेशी निवेशकों ने भारत से $10 बिलियन से ज्यादा का निवेश निकाला।
  2. चीन की स्टिमुलस योजनाओं ने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया, जिससे भारत से निवेश हटाने का चलन शुरू हुआ।
  3. घरेलू निवेशकों ने विदेशी निवेशकों के पलायन को संतुलित किया, जिससे बाजार में स्थिरता बनी रही।

आख़िर तक – इन डेप्थ:

त्योहारी सीजन के आते ही भारत में शेयर बाजार से विदेशी निवेशक पीछे हट रहे हैं और उनका ध्यान चीन की ओर जा रहा है। अक्टूबर 2024 में रिकॉर्ड $10 बिलियन (लगभग ₹84,000 करोड़) का विदेशी निवेश भारत से निकाला गया। इसका मुख्य कारण चीन की हाल ही में घोषित स्टिमुलस योजनाएं मानी जा रही हैं, जिसने वैश्विक निवेशकों का ध्यान खींचा है।

चीन की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए मौद्रिक नीतियों में ढील और सरकारी खर्च में वृद्धि ने एक आकर्षक निवेश माहौल बनाया है। अक्टूबर में चीन के शेयर बाजार में लगभग $19 बिलियन का विदेशी निवेश हुआ, जबकि भारत में निवेश घटता चला गया। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, यह चलन “चीन खरीदें, भारत बेचें” की धारणा को दर्शाता है।

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हालांकि, विदेशी निवेशकों के इस कदम के बावजूद घरेलू निवेशक भारतीय शेयर बाजार को संभाले हुए हैं। अक्टूबर में भारतीय घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगभग $8 बिलियन के शेयर खरीदे। यह विदेशी निवेशकों द्वारा की गई बिकवाली की भरपाई करता है, जिससे बाजार में अस्थिरता कम हुई।

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह निवेशकों की अल्पकालिक रणनीति हो सकती है और भारत की दीर्घकालिक निवेश संभावनाएं अभी भी मजबूत हैं। भारत का आर्थिक विकास चीन की तुलना में तेज़ है, और भारत के मजबूत बुनियादी ढांचे और आर्थिक सुधारों के चलते विदेशी निवेशक भारत में दीर्घकालिक निवेश जारी रख सकते हैं।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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