आख़िर तक – एक नज़र में
- H-1B वीज़ा धारक अनिश्चितता और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
- वीज़ा नियमों के कारण यात्रा की स्वतंत्रता सीमित है।
- वीज़ा धारक नौकरी छूटने के बाद नई नौकरी पाने के लिए केवल 60 दिनों का समय पाते हैं।
- भारतीय प्रवासी ग्रीन कार्ड के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची में फंसे हुए हैं।
- सोशल मीडिया पर भारतीय प्रवासी मानसिक स्वास्थ्य और अनिश्चित भविष्य पर खुलकर चर्चा कर रहे हैं।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
H-1B वीज़ा और अनिश्चितता
H-1B वीज़ा धारक, विशेष रूप से भारतीय प्रवासी, लंबे समय से नौकरी, स्थायित्व और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अमेरिका में अस्थायी वीज़ा धारक, जो ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर चुके हैं, वीज़ा के विस्तार या नौकरी छूटने के डर के चलते तनाव में रहते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य और प्रवासी भारतीय
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर, कई प्रवासियों ने मानसिक स्वास्थ्य, चिंता, और अवसाद से जूझने की कहानियां साझा की हैं। Reddit और अन्य मंचों पर पोस्ट दिखाती हैं कि भारतीय प्रवासी अपने जीवन को अनिश्चित भविष्य के कारण कैसे बदलते हैं।
ग्रीन कार्ड प्रक्रिया की लंबी प्रतीक्षा
अमेरिकी कांग्रेस रिसर्च सर्विस के अनुसार, 2030 तक भारतीय प्रवासियों के लिए ग्रीन कार्ड बैकलॉग 2.19 मिलियन तक पहुंच सकता है।
परिवार से दूर रहने की पीड़ा
वीज़ा के नियमों के कारण भारतीय प्रवासी अपने प्रियजनों से मिल पाने में असमर्थ होते हैं। एक Reddit उपयोगकर्ता ने कहा, “मेरे चाचा की मृत्यु पर मैं अपने परिवार के साथ नहीं रह सका। यह पीड़ा वास्तविक है।”
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- H-1B वीज़ा धारक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
- ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया में अनिश्चितता है।
- भारतीय प्रवासियों ने सोशल मीडिया पर अपनी चुनौतियों को खुलकर साझा किया है।
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