आख़िर तक – एक नज़र में
- कमरान हैदर उर्फ़ ज़ैदी, एक मानव तस्करी आरोपी, को 2,500 किमी लंबी खोज के बाद हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया।
- वह अली इंटरनेशनल सर्विसेज़ नामक फर्म चलाता था, जो तस्करी का माध्यम थी।
- पीड़ितों को नौकरी का झांसा देकर थाईलैंड और लाओस भेजा जाता था।
- एनआईए की जांच में पता चला कि उन्हें साइबर अपराध में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।
- पुलिस ने बिना रुके कई राज्यों में महीनों तक ऑपरेशन चलाया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
मानव तस्करी का बड़ा खुलासा
कमरान हैदर उर्फ़ ज़ैदी, जो एक मानव तस्करी सिंडिकेट का संचालन कर रहा था, को हैदराबाद में 7 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया। दिल्ली पुलिस की विशेष टीम ने 2,500 किमी लंबा पीछा करके इस आरोपी को पकड़ा।
कैसे हुआ मामला उजागर?
कमरान, अली इंटरनेशनल सर्विसेज़ के नाम से एक कंसल्टेंसी फर्म चलाता था, जहां से भारतीय नागरिकों को नौकरी का लालच देकर थाईलैंड और लाओस भेजा जाता था। पीड़ितों को वहां ले जाकर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते और साइबर फ्रॉड में काम करने पर मजबूर किया जाता।
एनआईए की जांच में बड़े खुलासे
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जून में मामला अपने हाथ में लिया। जांच में पाया गया कि कमरान ने अन्य चार लोगों के साथ मिलकर निर्दोष नागरिकों को मानव तस्करी का शिकार बनाया।
- प्रमुख आरोपी:
कमरान हैदर, मंज़ूर आलम (गुड्डू), साहिल, आशीष (अखिल), और पवन यादव (अफ़ज़ल)। - पीड़ित की कहानी:
दिल्ली निवासी नरेश लखावत ने बताया कि कमरान ने उसे थाईलैंड में नौकरी का वादा किया। लेकिन वहां पहुंचते ही पासपोर्ट छीन लिया गया और उसे चीनी कंपनियों के लिए साइबर क्राइम में काम करने पर मजबूर किया गया।
पुलिस का सघन ऑपरेशन
कमरान को पकड़ने के लिए पुलिस टीमों ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ में जांच की। आखिरकार, हैदराबाद में नामपल्ली रेलवे स्टेशन के पास कमरान को धर दबोचा गया।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- कमरान हैदर मानव तस्करी और साइबर अपराध के प्रमुख आरोपी हैं।
- 2,500 किमी लंबे ऑपरेशन के बाद उसे हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया।
- एनआईए की जांच में मानव तस्करी और साइबर फ्रॉड के गंभीर आरोप साबित हुए।
- पुलिस का यह अभियान कई महीनों तक चला।
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