आख़िर तक – एक नज़र में
- केरल में मलप्पुरम विवाद एसएनडीपी नेता वेल्लापल्ली नटेसन की टिप्पणी से गहराया है।
- नटेसन ने मुस्लिम बहुल जिला मलप्पुरम को “एक अलग देश” कहकर संबोधित किया।
- उनकी टिप्पणियों पर आईयूएमएल समेत कई राजनीतिक और सामुदायिक नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है।
- वेल्लापल्ली नटेसन अपनी बात पर अड़े हैं और इसे सामाजिक अन्याय का मुद्दा बता रहे हैं।
- यह मलप्पुरम विवाद जिले में पिछड़े समुदायों के अधिकारों और अवसरों के कथित हनन पर केंद्रित है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
मलप्पुरम पर नटेसन की टिप्पणी से केरल में सियासी तूफान
केरल के मलप्पुरम विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। श्री नारायण धर्म परिपालन (SNDP) योगम के महासचिव वेल्लापल्ली नटेसन द्वारा दिए गए एक भाषण ने राज्य में राजनीतिक और सामुदायिक स्तर पर तीखी बहस छेड़ दी है। नटेसन ने मलप्पुरम जिले में एक सम्मेलन के दौरान राज्य के मुस्लिम बहुल जिला मलप्पुरम का जिक्र करते हुए इसे “एक अलग देश” बता दिया। इस टिप्पणी ने तत्काल विवाद खड़ा कर दिया।
क्या कहा वेल्लापल्ली नटेसन ने?
शुक्रवार को जिले के चुंगाथारा क्षेत्र में एक सभा को संबोधित करते हुए, नटेसन ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि आप मलप्पुरम में ताजी हवा में सांस लेकर रह सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि आप एक स्वतंत्र राय कहकर भी जी सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मलप्पुरम एक अलग देश है। यह अलग लोगों का राज्य है।” इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आजादी के दशकों बाद भी पिछड़े समुदायों को कोई लाभ मिला है। उनकी यह टिप्पणी मलप्पुरम विवाद का केंद्र बन गई।
मलप्पुरम जिले की पृष्ठभूमि
2011 की जनगणना के अनुसार, मलप्पुरम की आबादी 41 लाख से अधिक है। यहां 70% से अधिक मुस्लिम बहुल आबादी है। जिले की कुल आबादी में हिंदू केवल 27.6% हैं, जो अल्पसंख्यक हैं। एसएनडीपी योगम एझावा समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है। एझावा समुदाय की केरल के विभिन्न हिस्सों में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। नटेसन का बयान इसी सामाजिक और जनसांख्यिकीय पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है।
आईयूएमएल की तीखी प्रतिक्रिया
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने नटेसन की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है। पार्टी अध्यक्ष सैयद सादिक अली शिहाब थंगल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, “जब कोई मलप्पुरम जिले की आलोचना करता है, तो वह किसी एक विशेष समुदाय की आलोचना नहीं कर रहा होता है। आप महान लेखकों और कलाकारों के जिले की आलोचना कर रहे हैं। यह कई ऐतिहासिक मंदिरों का घर है। यह जिला सभी का है। सिर्फ एक समुदाय का नहीं।” यह प्रतिक्रिया मलप्पुरम विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाई।
नटेसन अपने बयान पर कायम
बढ़ती आलोचना के बावजूद, वेल्लापल्ली नटेसन ने रविवार को दोहराया कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं एक शब्द भी वापस नहीं लूंगा।” उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनकी टिप्पणी मुस्लिम विरोधी थी। उन्होंने कहा, “मैंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ क्या कहा? अपने हालिया भाषण में, मैंने केवल यह कहा कि मलप्पुरम में कोई सामाजिक न्याय नहीं है। यही सच्चाई है।”
आरोपों का खंडन और स्पष्टीकरण
अपनी स्थिति को और स्पष्ट करते हुए, नटेसन ने कुछ आईयूएमएल नेताओं पर उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया, “कुछ लोग मुझे मुस्लिम विरोधी बताने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मैं किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हूं। मैंने कोई नफरत भरी टिप्पणी नहीं की है।” उन्होंने कहा कि मीडिया का एक वर्ग उनके भाषण के चुनिंदा हिस्सों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है।
पिछड़े समुदायों के अधिकारों का मुद्दा
उन्होंने आरोप लगाया कि मलप्पुरम में पिछड़े समुदायों के सदस्यों को सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक और आर्थिक अवसरों से वंचित किया जा रहा है। नटेसन ने प्रणालीगत बहिष्कार के उदाहरण के रूप में उद्धृत करते हुए कहा, “हमारे समुदाय (एझावा समुदाय) के पास मलप्पुरम में एक श्मशान घाट भी नहीं है। वे वहां गुलामों की तरह रह रहे हैं।” यह आरोप मलप्पुरम विवाद को सामाजिक न्याय के मुद्दे से जोड़ता है।
आईयूएमएल के धर्मनिरपेक्षता पर सवाल
वेल्लापल्ली नटेसन ने आईयूएमएल की धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता को भी चुनौती दी। उन्होंने सवाल किया कि पार्टी ने जिले में – पंचायत स्तर पर भी – कभी किसी गैर-मुस्लिम उम्मीदवार को क्यों नहीं खड़ा किया। उन्होंने पार्टी पर “छद्म-धर्मनिरपेक्षता” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। यह मलप्पुरम विवाद अब राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोपों में बदल गया है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- मलप्पुरम विवाद एसएनडीपी नेता वेल्लापल्ली नटेसन द्वारा जिले को “अलग देश” कहने से शुरू हुआ।
- उन्होंने मुस्लिम बहुल जिला मलप्पुरम में सामाजिक न्याय की कमी और स्वतंत्र राय रखने में कठिनाई का दावा किया।
- आईयूएमएल ने टिप्पणी की निंदा करते हुए जिले की समावेशी विरासत पर जोर दिया।
- नटेसन अपनी टिप्पणी पर कायम हैं, इसे एझावा समुदाय जैसे पिछड़ों के अधिकारों का मुद्दा बता रहे हैं।
- उन्होंने आईयूएमएल पर पिछड़े समुदायों को अवसर न देने और “छद्म-धर्मनिरपेक्षता” का आरोप लगाया।
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