आखिर तक – मुख्य बातें
- 2024 के चुनावों में राहुल गांधी ने मोदी को कड़ी चुनौती दी।
- राहुल ने सामाजिक मुद्दों पर फोकस कर समर्थन जुटाया।
- कमला हैरिस ट्रंप को उसी स्तर पर चुनौती देने में असफल रहीं।
- भारत में विपक्ष ने जाति और संविधान से जुड़े मुद्दों को उभारा।
- अमेरिका में हैरिस ने प्रमुख सामाजिक वर्गों का समर्थन खो दिया।
आखिर तक – विस्तार से
राहुल गांधी ने मोदी के मित्रों पर निशाना साधा, हैरिस ट्रंप के दोस्तों को निशाना नहीं बना सकीं
राहुल गांधी ने चुनावों से पहले अडानी और अंबानी जैसे उद्योगपतियों को मोदी सरकार के करीबी के रूप में पेश किया। वहीं, अमेरिका में कमला हैरिस इस प्रकार से ट्रंप के दोस्तों को निशाना बनाने में असफल रहीं।
राहुल ने जाति को मुद्दा बनाया, हैरिस ने नहीं की अल्पसंख्यकों की बात
राहुल गांधी ने दलित अधिकारों और जाति आधारित जनगणना पर जोर दिया जबकि हैरिस ने अमेरिकी अल्पसंख्यकों का समर्थन पाने में ज्यादा प्रयास नहीं किए।
सरल संदेशों का प्रभाव, जबकि हैरिस का संदेश कमजोर साबित हुआ
राहुल गांधी ने अपनी मुहिम को सरल और स्पष्ट बनाए रखा जबकि हैरिस का प्रचार ट्रंप के मुकाबले कमजोर रहा।
राहुल ने स्थापित व्यवस्था को बनाया मुद्दा, हैरिस स्थापित व्यवस्था का हिस्सा रहीं
राहुल गांधी ने खुद को आम आदमी का साथी बताया और हैरिस के विपरीत, खुद को एक बाहरी नेता के रूप में प्रस्तुत किया।
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