राम मंदिर समर्पण दिवस पर मोहन भागवत का बड़ा बयान: भारत को मिली सच्ची स्वतंत्रता

आख़िर तक
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राम मंदिर समर्पण दिवस पर मोहन भागवत का बड़ा बयान: भारत को मिली सच्ची स्वतंत्रता

आख़िर तक – एक नज़र में

  1. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने 11 जनवरी 2025 को राम मंदिर समर्पण दिवस को ‘सच्ची स्वतंत्रता’ के प्रतीक के रूप में बताया।
  2. उन्होंने इसे ‘प्रतीक्षा द्वादशी’ के रूप में मनाने का आह्वान किया, ताकि यह दिन भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक बने।
  3. भागवत ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन का उद्देश्य किसी के खिलाफ नहीं था, बल्कि भारत के आत्मसम्मान को जगाना था।
  4. यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 22 जनवरी 2024 को हुआ था।
  5. राम मंदिर आंदोलन के समर्थन में कई वरिष्ठ नेताओं और लोगों ने अपना योगदान दिया।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

राम मंदिर के समर्पण दिवस का महत्व

22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर का समर्पण किया गया। इस ऐतिहासिक दिन ने भारत को एक नई दिशा दी, जहाँ राम मंदिर समर्पण को सच्ची स्वतंत्रता के रूप में देखा गया। मोहन भागवत ने इसे एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में प्रस्तुत किया। अयोध्या में रामलला की मूर्ति का समर्पण एक महत्वपूर्ण क्षण था, जो सदियों से चले आ रहे संघर्ष का प्रतीक है।

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राम मंदिर आंदोलन और भारत की स्वाभिमान की पुनर्स्थापना

भागवत ने स्पष्ट किया कि राम मंदिर आंदोलन किसी का विरोध नहीं करता, बल्कि यह भारत के आत्मसम्मान को जगाने और देश को अपने पैरों पर खड़ा करने के उद्देश्य से शुरू हुआ था। यह आंदोलन भारत के स्वाभिमान को जागरूक करने के लिए था, ताकि पूरे देश को अपनी पहचान और शक्ति का अहसास हो सके। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक उदाहरण है कि जब लोग एकजुट होते हैं, तो किसी भी कठिन कार्य को अंजाम दिया जा सकता है।

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इतिहास और संघर्ष का संगम

राम मंदिर के निर्माण में कई वर्षों का संघर्ष और सैकड़ों आंदोलन हुए, जिनका अंत 2024 में हुआ। भगवती ने कहा कि राम मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह “भारत की मूंछ” (राष्ट्रीय गर्व) का प्रतीक है, जो देश के समर्पण, बलिदान और एकता का उदाहरण प्रस्तुत करता है। मंदिर के निर्माण के साथ ही भारत के एक नए युग की शुरुआत होती है।

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संबद्ध व्यक्तियों का सम्मान

सामाजिक संगठन ‘श्री अहिल्योत्सव समिति’ द्वारा मोहन भागवत और उनके योगदान को सराहा गया। इस समर्पण समारोह के दौरान, चंपत राय, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव, को “नेशनल देवी अहिल्या अवार्ड” से सम्मानित किया गया। राय ने अपनी यह उपलब्धि राम मंदिर आंदोलन में लगे सभी लोगों को समर्पित की।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  1. मोहन भागवत के अनुसार, राम मंदिर समर्पण भारत की सच्ची स्वतंत्रता का प्रतीक है।
  2. राम मंदिर आंदोलन ने भारत के आत्मसम्मान को पुनर्स्थापित किया।
  3. चंपत राय ने राम मंदिर आंदोलन में योगदान देने वाले सभी लोगों के सम्मान में पुरस्कार प्राप्त किया।
  4. भगवती का संदेश स्पष्ट था कि राम मंदिर आंदोलन का उद्देश्य समाज को एकजुट करना था।
  5. मंदिर का समर्पण ऐतिहासिक रूप से भारत को एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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