सार्क पुनरुद्धार: बांग्लादेश और पाकिस्तान का प्रयास

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सार्क पुनरुद्धार: बांग्लादेश और पाकिस्तान का प्रयास

बांग्लादेश के कार्यवाहक सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की और सार्क को पुनर्जीवित करने के लिए पाकिस्तान से मदद मांगी। सार्क, दक्षिण एशियाई देशों का एक समूह है जिसमें भारत की प्रमुख भूमिका है। हालांकि, भारत ने पहले ही इस विचार को खारिज कर दिया है क्योंकि पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने के कारण भारत ने सार्क बैठकों से दूरी बनाई है।

भारत ने वर्ष 2016 में उरी हमले के बाद सार्क शिखर सम्मेलन से बाहर रहने का निर्णय लिया था। उरी हमले में 19 भारतीय जवानों की मौत हो गई थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि भारत “रात में आतंकवाद और दिन में व्यापार” के इस सिद्धांत को सहन नहीं करेगा।

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बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों अब सार्क को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन भारत के सख्त रुख के कारण यह मुश्किल हो रहा है। सार्क को पुनर्जीवित करने का मुख्य कारण व्यापार और आर्थिक लाभ है, क्योंकि पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं।

पाकिस्तान ने कई बार सार्क शिखर सम्मेलन के आयोजन की अपील की, लेकिन भारत ने हर बार इससे इंकार किया। पाकिस्तान का कहना है कि सार्क दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग और व्यापार को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन भारत का आतंकवाद पर सख्त रुख इसका मुख्य अवरोधक है।

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अब, बांग्लादेश के नए नेतृत्व ने सार्क को पुनर्जीवित करने की अपील की है। मोहम्मद यूनुस ने शहबाज शरीफ से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने सार्क के पुनरुद्धार पर चर्चा की। यूनुस ने कहा कि सार्क यूरोपीय संघ की तरह संबंधों का एक मॉडल बन सकता है, और हमें आपसी लाभ के लिए मिलकर काम करना चाहिए। शरीफ ने भी इस विचार का समर्थन किया और कहा कि पाकिस्तान इस पहल में बांग्लादेश का समर्थन करेगा।

हालांकि, भारत के बिना सार्क का पुनरुद्धार असंभव है क्योंकि भारत दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत, जो वर्तमान में G20 और ब्रिक्स जैसे कई प्रमुख वैश्विक समूहों का हिस्सा है, ने हमेशा कहा है कि वह “आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा” और सार्क के पुनरुद्धार में तभी हिस्सा लेगा जब आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त किया जाएगा।

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सार्क और व्यापार

सार्क का गठन 1985 में दक्षिण एशियाई देशों के बीच व्यापार और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। यह संगठन बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और अफगानिस्तान को एक साथ लाता है। हालांकि, सार्क का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय विकास और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण यह संगठन कमजोर पड़ गया है।

सार्क के माध्यम से व्यापारिक लाभ पाने के लिए बांग्लादेश और पाकिस्तान इसे पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। बांग्लादेश ने शेख हसीना के शासनकाल के दौरान सार्क को पुनर्जीवित करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, लेकिन अब, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में, बांग्लादेश ने सार्क को फिर से शुरू करने की पहल की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा कि वह बांग्लादेश के साथ मिलकर सार्क को पुनर्जीवित करने के लिए काम करेंगे और दोनों देशों ने इस पर सहमति जताई कि वे क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाएंगे।

भारत का सख्त रुख

हालांकि, भारत ने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। भारत का कहना है कि वह किसी भी ऐसे समूह का हिस्सा नहीं बन सकता जिसमें आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश शामिल हों। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले ही कहा है कि सार्क के लिए भारत की भागीदारी तभी संभव है जब आतंकवाद का पूर्ण रूप से खात्मा किया जाएगा।

भारत के मजबूत आर्थिक विकास के कारण दक्षिण एशियाई देशों को भारत के साथ व्यापार की आवश्यकता है, लेकिन भारत ने अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद को सहन नहीं करेगा। जबकि बांग्लादेश और पाकिस्तान अपने आर्थिक संकट से उबरने के लिए सार्क के पुनरुद्धार की अपील कर रहे हैं, भारत ने अपनी सख्त स्थिति को बरकरार रखा है और इस समूह में शामिल होने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई है।

सार्क का भविष्य

सार्क के भविष्य पर अभी भी सवालिया निशान लगा हुआ है। अगर भारत अपनी आतंकवाद विरोधी नीति पर कायम रहता है, तो सार्क का पुनरुद्धार मुश्किल होगा। बांग्लादेश और पाकिस्तान के लिए सार्क एक आवश्यक मंच है, लेकिन भारत के बिना यह मंच कमजोर रहेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बांग्लादेश और पाकिस्तान भारत को सार्क में शामिल करने के लिए कोई नई रणनीति अपनाते हैं, या फिर सार्क के बिना अपने आर्थिक संकट से निपटने का प्रयास करते हैं।


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