भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाल ही में अपने उस बयान को वापस लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के पीछे बाहरी तत्व शामिल हैं। करीब दो हफ्ते पहले सेबी ने एक बयान जारी किया था, जिसमें इस विरोध के पीछे बाहरी ताकतों का हाथ बताया गया था। यह बयान संगठन और उसके नेतृत्व को बदनाम करने के प्रयास के रूप में देखा गया था।
सेबी ने 4 सितंबर को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि कर्मचारियों की चिंताओं को बाहरी तत्वों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। सेबी का दावा था कि कर्मचारियों को संगठन की विश्वसनीयता और नेतृत्व पर सवाल उठाने के लिए बहकाया जा रहा है। हालांकि, अब सेबी ने इस बयान को वापस लेते हुए कहा कि कर्मचारियों द्वारा उठाई गई चिंताओं को संगठन के भीतर ही सुलझाया जाना चाहिए।
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब 6 अगस्त को सेबी के कुछ कर्मचारियों द्वारा एक पत्र लिखा गया, जिसमें संगठन के नेतृत्व के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। हालांकि इस पत्र में सीधे तौर पर अध्यक्ष माधबी पुरी बुच का नाम नहीं लिया गया था, लेकिन कर्मचारियों ने “अवास्तविक” कार्य वातावरण की शिकायत की थी और संगठन के शीर्ष पर बदलाव की मांग की थी।
इसके बाद 4 सितंबर को सेबी ने बयान दिया था कि बाहरी ताकतें कर्मचारियों को मीडिया और सरकार को जानकारी लीक करने के लिए प्रेरित कर रही हैं, ताकि संगठन को अस्थिर किया जा सके। सेबी का दावा था कि यह पत्र सेबी कर्मचारियों के संघ द्वारा आधिकारिक रूप से नहीं भेजा गया था, बल्कि यह एक गुमनाम ईमेल था।
हालांकि अब सेबी ने अपने उस बयान को वापस ले लिया है और कहा है कि कर्मचारियों की शिकायतों को आंतरिक प्रक्रियाओं के माध्यम से हल किया जाएगा। सोमवार को, सेबी ने कहा कि कर्मचारियों ने संगठन के आंतरिक संचार को लीक करने की निंदा की है और अपनी शिकायतों को उचित चैनलों के माध्यम से सुलझाने की इच्छा व्यक्त की है।
सेबी ने जोर देकर कहा कि कर्मचारियों से संबंधित मुद्दों को संगठन के भीतर ही निपटाया जाएगा और संगठन के शासन मानकों के अनुसार हल किया जाएगा। सेबी के ताजा बयान में कहा गया, “सभी स्तरों के कर्मचारियों के साथ उत्पादक चर्चा के बाद, सेबी और उसके कर्मचारियों ने पुष्टि की है कि इन मुद्दों को संगठन की स्थापित प्रक्रियाओं के भीतर समय पर हल किया जाएगा।”
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