आख़िर तक – एक नज़र में
- किसान नेता जगजीत सिंह डाल्लेवाल 26 नवंबर से अनशन पर हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार पर उनके अनशन को लेकर गलत छवि बनाने का आरोप लगाया।
- कोर्ट ने सरकार को डाल्लेवाल को मेडिकल सहायता दिलाने का निर्देश दिया।
- सरकार ने कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह पालन नहीं किया, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई।
- सुनवाई को 6 जनवरी तक स्थगित किया गया है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
क्या है पूरा मामला?
जगजीत सिंह डाल्लेवाल, एक प्रमुख किसान नेता, 26 नवंबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। उनका यह अनशन किसानों की समस्याओं को केंद्र और राज्य सरकार के सामने रखने के लिए है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए पंजाब सरकार को डाल्लेवाल को मेडिकल सहायता मुहैया कराने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि पंजाब सरकार ने अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया। दो जजों की बेंच, जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां, ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार जानबूझकर यह छवि बना रही है कि अदालत डाल्लेवाल को अनशन तोड़ने के लिए मजबूर कर रही है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल डाल्लेवाल की जान बचाना है।
पंजाब सरकार पर आरोप
अदालत ने पंजाब सरकार पर डाल्लेवाल और उनके साथियों से संपर्क नहीं करने का आरोप लगाया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों ने डाल्लेवाल के साथ बातचीत का प्रयास भी नहीं किया। अदालत ने सरकार को यह स्पष्ट संदेश देने के लिए कहा कि डाल्लेवाल चिकित्सा सहायता के साथ अपना अनशन जारी रख सकते हैं।
आगे की प्रक्रिया
सुनवाई को 6 जनवरी तक स्थगित कर दिया गया है, और पंजाब सरकार को यह बताने के लिए कहा गया है कि उन्होंने डाल्लेवाल को मेडिकल सहायता दिलाने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में बयान देने को भी कहा है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- किसान नेता जगजीत सिंह डाल्लेवाल का अनशन 26 नवंबर से जारी है।
- सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई।
- कोर्ट ने डाल्लेवाल को मेडिकल सहायता दिलाने पर जोर दिया।
- पंजाब सरकार से 6 जनवरी को स्थिति रिपोर्ट मांगी गई है।
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