उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में गैर-हिंदू, रोहिंग्या मुसलमान और फेरीवालों के प्रवेश पर रोक लगाने वाले साइनबोर्ड लगाए गए हैं, जिससे विवाद छिड़ गया है। “उत्तराखंड में गैर-हिंदू रोहिंग्या मुसलमान प्रतिबंध” मुख्य कीवर्ड बन गया है, जो इस तनाव को बढ़ा रहा है और पुलिस को जांच के लिए प्रेरित कर रहा है। ये साइनबोर्ड हाल ही में चमोली में हुई एक यौन हमले की घटना के बाद सामने आए हैं, जिसने स्थानीय निवासियों के बीच आक्रोश और विरोध को जन्म दिया है।
सांप्रदायिक तनाव पर पुलिस की जांच
उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता दिनेश भरने ने रुद्रप्रयाग में इन पोस्टरों की पुष्टि की। पुलिस गांववासियों से संवाद कर रही है ताकि तनाव को कम किया जा सके और किसी भी तरह की सांप्रदायिक अशांति को रोका जा सके। भरने ने जोर देकर कहा कि पुलिस शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और कानून के तहत उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश के बाद, पुलिस क्षेत्र में बाहरी लोगों की पहचान की गहन जांच कर रही है। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया है कि आगे कोई शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
ये पोस्टर क्यों लगाए गए?
सोनप्रयाग गांव में एक साइनबोर्ड में चेतावनी दी गई थी, “गैर-हिंदू और रोहिंग्या गांव में प्रवेश करेंगे तो कार्रवाई की जाएगी।” यह प्रतिक्रिया चमोली में हाल ही में हुए यौन हमले की घटना के बाद आई है, जिसने अशांति को बढ़ा दिया। सिरसी गांव के निवासी अशोक सेमवाल जैसे निवासियों ने सुरक्षा संबंधी चिंताएं व्यक्त की हैं, खासकर जब पुरुष काम के लिए बाहर जाते हैं और महिलाएं अकेली घर पर रह जाती हैं। पिछले मंदिर चोरी की घटनाओं के बाद बिना उचित पहचान के बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए ये पोस्टर लगाए गए।
मुस्लिम नेताओं का विरोध
एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. नय्यर काज़मी ने उत्तराखंड के डीजीपी से मुलाकात की और साइनबोर्ड लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। काज़मी ने दावा किया कि हालिया विवादों के कारण मुस्लिम घरों पर हमले हुए और कई परिवारों को भागने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एक हफ्ते के भीतर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई तो असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में एआईएमआईएम के नेता विरोध प्रदर्शन करेंगे।
संतुलित कार्रवाई की मांग
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गणेश गोदियाल ने संतुलित दृष्टिकोण की मांग की और कहा कि अपराधियों के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से कार्रवाई होनी चाहिए और पूरी समुदाय को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था की आलोचना की, खासकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की हालिया उत्तराखंड यात्रा के दौरान हुई चोरी की घटनाओं और महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा के मामलों का उल्लेख किया।
Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें
Subscribe to get the latest posts sent to your email.