आख़िर तक – एक नज़र में
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत की।
- उन्होंने इसे नीति स्थिरता और वित्तीय बोझ कम करने के लिए महत्वपूर्ण बताया।
- ब्रिटिश-युग की आपराधिक कानूनों को बदलने के प्रयासों की प्रशंसा की।
- महिलाओं और बच्चों के न्याय को प्राथमिकता देने की बात पर जोर दिया।
- भारत की सांस्कृतिक धरोहर और संविधान की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
वन नेशन वन इलेक्शन का महत्व
76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वन नेशन वन इलेक्शन की योजना को देश की नीति स्थिरता और प्रशासनिक सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह योजना लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करने की पहल है, जिससे वित्तीय बोझ कम होगा और संसाधनों का कुशल उपयोग संभव होगा।
न्याय प्रणाली में सुधार
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने उपनिवेशवादी मानसिकता से उभरने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। तीन नए कानूनों—भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम—को पुरानी औपनिवेशिक कानूनों की जगह देने की सराहना की। इन कानूनों का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर कड़ी कार्रवाई करना और न्याय को प्राथमिकता देना है।
सांस्कृतिक और आर्थिक पहल
राष्ट्रपति ने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बताया। साथ ही, उन्होंने भारतीय संविधान की प्रशंसा करते हुए इसे देश की सामूहिक पहचान का आधार कहा। उन्होंने कृषि और श्रम क्षेत्र में बढ़ती आय और रोजगार के अवसरों की चर्चा की, जो सरकार की समावेशी विकास नीतियों का परिणाम है।
ऐतिहासिक योगदान
राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को श्रद्धांजलि दी और महात्मा गांधी, रविंद्रनाथ टैगोर और बाबासाहेब अंबेडकर जैसे नेताओं के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्य भारत की सभ्यता के मूलभूत हिस्से रहे हैं।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- वन नेशन वन इलेक्शन से नीति स्थिरता और वित्तीय बचत होगी।
- नए आपराधिक कानून न्याय प्रणाली में क्रांति लाएंगे।
- सांस्कृतिक और आर्थिक विकास को नई दिशा मिली है।
- महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
- संविधान भारत की प्रगति और एकता का आधार है।
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