जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में जम्मू और कश्मीर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर आर स्वैन के खिलाफ कड़ी आलोचना की है। उनकी आलोचना का केंद्र कश्मीर घाटी में बढ़ते आतंकी हमले हैं, जिन्हें वे वर्तमान प्रशासन की नीतियों का प्रत्यक्ष परिणाम मानती हैं। यह लेख मुफ्ती के बयानों, उनकी आलोचना के संदर्भ और व्यापक राजनीतिक और सुरक्षा प्रभावों पर विस्तार से प्रकाश डालता है।
राजनीतिक संदर्भ और आलोचना
मुफ्ती की आलोचना उस समय आई है जब कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि हो रही है। पीडीपी नेता केंद्र सरकार की कश्मीर मामले में अपनाई जा रही नीतियों के खिलाफ मुखर रही हैं। उनका मानना है कि सुरक्षा बलों द्वारा अपनाए गए सख्त उपाय प्रतिकूल हैं और स्थिति को और अधिक बिगाड़ रहे हैं।
मुफ्ती ने कहा, “वर्तमान प्रशासन, डीजीपी आर आर स्वैन के मार्गदर्शन में, घाटी में आतंकवाद के मूल कारणों को संबोधित करने में विफल रहा है। लोगों की शिकायतों को संबोधित करने और संवाद में शामिल होने के बजाय, उन्होंने क्रूर बल का सहारा लिया है, जिससे केवल और अधिक अशांति फैली है।”
डीजीपी आर आर स्वैन की प्रतिक्रिया
आतंकवाद के खिलाफ अपने कड़े रुख के लिए जाने जाने वाले डीजीपी आर आर स्वैन ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई का बचाव किया है। उनका कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने और आतंकवादियों से निपटने के लिए उठाए गए कदम आवश्यक हैं। स्वैन ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा अभियान अत्यधिक सावधानी के साथ संचालित किए जाते हैं ताकि नागरिकों की मौत न हो और घाटी के लोगों की सुरक्षा हो सके।
मुफ्ती के आरोपों के जवाब में, स्वैन ने कहा, “हमारी प्राथमिकता नागरिकों की सुरक्षा है। हम कानून के दायरे में रहकर काम करते हैं और हमारे कदम उन आतंकी नेटवर्कों को ध्वस्त करने के लिए उठाए जाते हैं जो क्षेत्र में शांति के लिए खतरा हैं।”
क्षेत्रीय मुख्यधारा की पार्टियों पर प्रभाव
मुफ्ती की आलोचना जम्मू और कश्मीर में विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं से मिश्रित प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं। जबकि उनकी पार्टी, पीडीपी, ने उनके रुख का समर्थन किया है, अन्य मुख्यधारा की पार्टियों ने विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं। क्षेत्र में एक और प्रमुख राजनीतिक ताकत नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने सुरक्षा स्थिति पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन सुरक्षा बलों की सीधे आलोचना से परहेज किया है।
केंद्र स्तर पर सत्ता में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुफ्ती की टिप्पणियों की निंदा करते हुए उन पर सुरक्षा बलों के प्रयासों को कमजोर करने का आरोप लगाया है। भाजपा के एक प्रवक्ता ने कहा, “महबूबा मुफ्ती की टिप्पणियां गैरजिम्मेदाराना हैं और उन सुरक्षा कर्मियों के लिए निराशाजनक हैं जो घाटी को आतंकवाद से बचाने के लिए प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं।”
कश्मीर घाटी में सुरक्षा स्थिति
कश्मीर घाटी में सुरक्षा स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, जहां सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच अक्सर मुठभेड़ होती रहती हैं। आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, पिछले वर्ष में आतंकवादी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे सुरक्षा कर्मियों और नागरिकों के बीच कई हताहत हुए हैं।
केंद्र सरकार ने क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है और सुरक्षा अभियान तेज कर दिए हैं। हालांकि, बढ़ती सैन्य उपस्थिति ने स्थानीय आबादी के बीच भी तनाव बढ़ा दिया है, जिनमें से कई लोग अलगाव और उत्पीड़न महसूस करते हैं।
व्यापक प्रभाव
डीजीपी आर आर स्वैन पर महबूबा मुफ्ती की आलोचना जम्मू और कश्मीर में जारी राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों को उजागर करती है। उनके बयान केंद्र सरकार और क्षेत्रीय राजनीतिक नेताओं के बीच गहरे अविश्वास को दर्शाते हैं। यह अविश्वास सुरक्षा स्थिति से और बढ़ जाता है, जो अस्थिर बनी रहती है।
क्षेत्र में राजनीतिक चर्चा सुरक्षा गतिशीलता से काफी प्रभावित होती है। बार-बार होने वाले आतंकी हमले और उसके बाद के सुरक्षा अभियान हिंसा के चक्र का निर्माण करते हैं जो शांति और स्थिरता के प्रयासों में बाधा डालते हैं। स्थिति को संभालने के लिए मुफ्ती के मानवीय दृष्टिकोण की मांग इस संघर्ष के मूल कारणों को संबोधित करने की व्यापक रणनीति की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
कश्मीर घाटी में आतंकी हमलों को संभालने पर जम्मू डीजीपी आर आर स्वैन की आलोचना महबूबा मुफ्ती द्वारा व्यापक राजनीतिक और सुरक्षा चुनौतियों का प्रतिबिंब है। उनकी संवाद-उन्मुख दृष्टिकोण की मांग वर्तमान प्रशासन के सख्त उपायों के विपरीत है। घाटी में स्थिति अस्थिर बनी रहने के कारण, एक संतुलित और समावेशी रणनीति की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है।
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