सिविल सेवा परीक्षा धोखाधड़ी: खामियों का पर्दाफाश और निष्पक्षता की बहाली

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सिविल सेवा परीक्षा धोखाधड़ी: खामियों का पर्दाफाश और निष्पक्षता की बहाली

परिचय

हाल के वर्षों में, भारत में सिविल सेवा उम्मीदवारों के बीच एक चिंताजनक प्रवृत्ति सामने आई है। प्रणाली में खामियों का फायदा उठाते हुए, कुछ उम्मीदवार संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा में अनुचित रूप से लाभ प्राप्त कर रहे हैं। यह लेख उन विभिन्न तरीकों की जांच करता है, जिनसे उम्मीदवार प्रणाली का दुरुपयोग कर रहे हैं, इन कार्यों के प्रभाव और चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता को बहाल करने के लिए संभावित समाधान।

पूजा खेडकर का मामला

IAS अधिकारी पूजा खेडकर का मामला इस मुद्दे को उजागर करता है। खेडकर ने नकली विकलांगता प्रमाण पत्र का उपयोग करके UPSC परीक्षा पास की, जिससे आयोग ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की। यह मामला कई अन्य मामलों में से एक है, जो धोखाधड़ी और प्रणाली के दुरुपयोग की व्यापक समस्या को उजागर करता है।

उम्मीदवार का दृष्टिकोण

प्रवीन, उत्तर प्रदेश का 29 वर्षीय IAS उम्मीदवार, सिविल सेवा परीक्षा में अपने अंतिम प्रयास में है। अपनी समर्पण के बावजूद, प्रक्रिया की निष्पक्षता के बारे में संदेह उसके मन में प्रवेश कर गए हैं। खेडकर और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों ने उसकी शंकाओं की पुष्टि कर दी है कि प्रणाली में खामियां हो सकती हैं।

सशक्तिकरण प्रावधानों का दुरुपयोग

सशक्तिकरण के लिए बनाए गए प्रावधानों का दुरुपयोग हो रहा है। यह समस्या विशेष रूप से पिछले पांच वर्षों में चिंताजनक हो गई है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि प्रणाली में खामियों को बंद करने की आवश्यकता है ताकि आगे के दुरुपयोग को रोका जा सके।

सिविल सेवा परीक्षा पर प्रभाव

सिविल सेवा परीक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), और भारतीय विदेश सेवा (IFS) जैसी प्रमुख सेवाओं के लिए मार्ग प्रशस्त करती है। यदि उम्मीदवारों को यह विश्वास हो जाता है कि केवल योग्यता पर्याप्त नहीं है, तो प्रणाली की विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाती है।

आंकड़े और प्रभाव

UPSC परीक्षाओं की प्रतिस्पर्धात्मक प्रकृति को देखते हुए आँकड़े इस प्रकार हैं:

वर्षपंजीकृत छात्रों की संख्याप्रारंभिक परीक्षा में उपस्थित हुए छात्रों की संख्यामुख्य परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त छात्रों की संख्यासाक्षात्कार के लिए उपस्थित हुए छात्रों की संख्यापरीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों की संख्या
20181,065,552500,48410,4191,992
20191,135,261493,97211,8452,034829
20201,057,948482,77010,5642,053796
20211,093,948508,61910,000NANA
20221,135,697573,73513,0902,529933

नौकरशाही की भूमिका

नौकरशाही की साख भी खतरे में है। पूर्व नौकरशाह जैकब एंटनी ने बताया कि सिविल सेवा चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है। किसी भी प्रकार की हेराफेरी का प्रभाव पूरे नौकरशाही की छवि पर पड़ता है।

धोखाधड़ी के मामले

कई धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, जिनमें उम्मीदवारों ने आरक्षण और रियायतों के लिए नकली प्रमाण पत्र का उपयोग किया। सोशल मीडिया ने इन धोखाधड़ी गतिविधियों को उजागर करने में भूमिका निभाई है, क्योंकि कुछ उम्मीदवार अपने धोखाधड़ी कार्यों को ऑनलाइन प्रकट करते हैं।

कार्यकर्ता की भूमिका

उत्तर प्रदेश स्थित ऑनलाइन कार्यकर्ता खुर्पेनच ने इन मामलों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह बताते हैं कि सरकारी अधिकारियों से संबंधित उम्मीदवार कैसे खामियों का फायदा उठाते हैं, अक्सर नकली प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए कीमत चुकाते हैं। EWS कोटा विशेष रूप से दुरुपयोग के प्रति संवेदनशील है।

हाल की प्रवृत्तियाँ

2019 में आर्थिक पिछड़ा वर्ग (EWS) कोटा लागू होने के बाद से धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, OBC-नॉन-क्रीमी कोटा और विकलांगता कोटे का दुरुपयोग हो रहा है, अक्सर अधिकारियों के साथ मिलीभगत में।

सुधार के लिए सिफारिशें

इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए, विशेषज्ञ कई उपायों की सिफारिश करते हैं:

  1. कठोर सत्यापन प्रक्रियाएँ: प्रमाण पत्रों की जमीनी स्तर पर सत्यापन में सुधार करें और पृष्ठभूमि जांच करें।
  2. पारदर्शिता में वृद्धि: चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करें ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके।
  3. सख्त निगरानी: उम्मीदवारों के धोखाधड़ी व्यवहार के संकेतों के लिए सोशल मीडिया की निगरानी करें।
  4. कठोर दंड: धोखाधड़ी के दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी सजा लागू करें ताकि दूसरों को रोका जा सके।

निष्कर्ष

UPSC चयन प्रक्रिया में धोखाधड़ी के मामले गंभीर चिंता का विषय हैं, जो भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा की साख को कम करते हैं। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए, UPSC, DoPT और अन्य हितधारकों से मिलकर एक सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता है ताकि एक निष्पक्ष और पारदर्शी चयन प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके। तभी सिविल सेवाएँ अपनी विश्वसनीयता बनाए रख सकेंगी और राष्ट्र की “स्टील फ्रेम” के रूप में सेवा कर सकेंगी।


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