C295 विमान परियोजना क्यों है भारत के लिए गेम चेंजर? जानें 5 प्रमुख बिंदु

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C295 विमान परियोजना क्यों है भारत के लिए गेम चेंजर? जानें 5 प्रमुख बिंदु

C295 विमान परियोजना भारत के लिए गेम चेंजर क्यों है? जानें 5 प्रमुख बिंदु

भारत में निजी क्षेत्र से संचालित होने वाली पहली विमान निर्माण फैक्ट्री गुजरात के वडोदरा में स्थापित की गई है। इस परियोजना के तहत तैयार विमान न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएंगे, बल्कि रोजगार उत्पन्न करने और भारत को विमान निर्यातक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके स्पेनिश समकक्ष पेड्रो सांचेज ने भारत के पहले निजी सैन्य परिवहन विमान उत्पादन संयंत्र का उद्घाटन किया। यह संयंत्र टाटा-एयरबस C295 विमान का निर्माण करेगा, जो भारत के एयरोस्पेस उद्योग और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

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यहाँ बताया गया है कि C295 परियोजना भारत के लिए कैसे गेम चेंजर साबित होगी:

  1. C295 विमान से भारतीय रक्षा को सामरिक बढ़त C295 विमान की इंडियन एयर फोर्स में तैनाती से रक्षा क्षमताओं में सामरिक सुधार होगा। यह विमान सैन्य परिवहन, चिकित्सा आपातकाल, और समुद्री गश्ती सहित विभिन्न मिशनों में सक्षम है। C295 विमान की विशेषता यह है कि यह छोटे और असामान्य रनवे पर भी संचालित हो सकता है, जो इसे चीन के साथ सीमाओं और समुद्री क्षेत्रों में तैनात करने के लिए आदर्श बनाता है।
  2. ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देती है। C295 विमान के तहत 56 विमानों में से 16 को स्पेन में और शेष 40 को वडोदरा संयंत्र में निर्मित किया जाएगा। यह कदम आयात निर्भरता को कम करेगा और भारत में रोजगार अवसर बढ़ाएगा।
  3. रोजगार और औद्योगिक विकास इस परियोजना से सीधे 3,000 नौकरियों का सृजन होगा और 15,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर पैदा होंगे। साथ ही, इस परियोजना से अन्य उद्योगों और आपूर्ति शृंखलाओं का विकास होगा।
  4. भारत के एयरोस्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास C295 परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षण और रखरखाव सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्टिक होल्डिंग डिपो और आगरा में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। इससे देश का विमानन उद्योग और मजबूत होगा।
  5. वैश्विक निर्यात में संभावनाएँ C295 परियोजना केवल भारत की आंतरिक जरूरतों को ही नहीं बल्कि निर्यात संभावनाओं को भी बढ़ावा देगी। सरकार द्वारा स्वीकृत देशों को यह विमान निर्यात किया जा सकेगा, जिससे भारत वैश्विक एयरोस्पेस बाजार में अपनी जगह बना सकेगा।

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