आख़िर तक – एक नज़र में
- त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश मिशन में घुसपैठ की घटना हुई।
- घटना हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में हुई।
- करीब 50 प्रदर्शनकारी बांग्लादेश मिशन के परिसर में घुस गए।
- भारत सरकार ने घटना की कड़ी निंदा की और सुरक्षा कड़े करने की बात कही।
- भारत ने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
घटना की पृष्ठभूमि
त्रिपुरा के अगरतला में सोमवार को एक बड़ी घटना सामने आई। बांग्लादेश मिशन में प्रदर्शन के दौरान करीब 50 लोग परिसर में घुस गए। यह विरोध प्रदर्शन बांग्लादेश में हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ था।
भारत का आधिकारिक बयान
घटना के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने इस घुसपैठ की कड़ी निंदा की। मंत्रालय ने कहा, “किसी भी परिस्थिति में राजनयिक और वाणिज्य दूतावास की संपत्तियों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।” सरकार ने बांग्लादेश के उच्चायोग और अन्य दूतावासों की सुरक्षा बढ़ाने की बात भी कही।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति
हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को लेकर भारत ने चिंता व्यक्त की थी। भारत ने बांग्लादेश सरकार से सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने कहा, “अल्पसंख्यकों पर हिंसा को मीडिया का अतिशयोक्ति नहीं माना जा सकता।”
बांग्लादेश की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश सरकार ने भारत की चिंताओं को “बेबुनियाद” बताया। उनका कहना है कि बांग्लादेश में सभी धर्मों के बीच सौहार्द कायम है।
सुरक्षा कदम और अपील
भारत ने बांग्लादेश से अपील की है कि वे अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- त्रिपुरा में बांग्लादेश मिशन में घुसपैठ।
- हिंदू साधु की गिरफ्तारी पर प्रदर्शन।
- भारत ने सुरक्षा कड़े करने की घोषणा की।
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