AIMIM के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी-नेतृत्व वाले एनडीए सरकार के वक्फ एक्ट में प्रस्तावित संशोधनों की तीखी आलोचना की है। ओवैसी का कहना है कि ये बदलाव वक्फ बोर्ड की शक्तियों को महत्वपूर्ण रूप से कम कर देंगे, जिससे प्रशासनिक अराजकता उत्पन्न होगी और बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर किया जाएगा।
प्रस्तावित संशोधन: स्वायत्तता के लिए खतरा
संशोधन, जिसे कैबिनेट ने शुक्रवार को मंजूरी दी, वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के प्रबंधन पर कठोर नियम लागू करने का लक्ष्य रखते हैं। सूत्रों के अनुसार, यह विधेयक अगले सप्ताह संसद में प्रस्तुत किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधनों के तहत वक्फ बोर्ड द्वारा की गई सभी संपत्ति की दावों को अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा।
ओवैसी की आलोचना
ओवैसी ने बीजेपी पर “हिंदुत्व एजेंडा” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है, और दावा किया है कि इन संशोधनों का वास्तविक उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को जब्त करना है। उनका कहना है कि ये बदलाव धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला हैं, जो वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को छीनने और उसकी गतिविधियों को बाधित करने के इरादे से किए जा रहे हैं।
धार्मिक संपत्तियों पर प्रभाव
वक्फ बोर्ड लगभग 8,70,000 संपत्तियों का प्रबंधन करता है, जो लगभग 9,40,000 एकड़ में फैली हुई हैं। ओवैसी का कहना है कि ये संशोधन कई दरगाहों और मस्जिदों पर विवाद उत्पन्न करेंगे, जिनका दावा बीजेपी-आरएसएस द्वारा झूठे तरीके से किया जा रहा है। उनका तर्क है कि प्रस्तावित सत्यापन प्रक्रिया धार्मिक स्थलों को सवालों के घेरे में लाएगी और संभावित रूप से जब्त कर सकती है।
सरकार का रुख
इसके जवाब में, सरकार का कहना है कि ये संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। हालांकि, ओवैसी का मानना है कि ये बदलाव धार्मिक संस्थानों और स्वतंत्रताओं के लिए हानिकारक हैं।
वक्फ एक्ट में प्रस्तावित संशोधन विवाद उत्पन्न कर चुके हैं। असदुद्दीन ओवैसी का तीखा विरोध धार्मिक स्वायत्तता और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर संभावित प्रभाव को उजागर करता है। विधेयक के जल्द ही संसद में प्रस्तुत होने की उम्मीद के साथ, इन बदलावों पर बहस और तीव्र होने की संभावना है।
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