दिल्ली वायु प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

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GRAP-IV प्रतिबंध लागू: दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ नए कदम

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर शुक्रवार को केंद्रीय वायु गुणवत्ता आयोग (CAQM) को सख्त फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि पराली जलाने के मुद्दे को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। हर साल दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली जलाने की वजह से दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, जिससे जनता को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हर साल पराली जलाना एक बड़ी समस्या है। CAQM अधिनियम का पूरी तरह से अनुपालन नहीं किया गया है। कोई समिति भी गठित नहीं की गई है। कृपया हमें दिखाएं कि अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। आप केवल मूक दर्शक बने हुए हैं।” अदालत ने यह भी कहा कि एयर क्वालिटी पैनल केवल तीन महीने में एक बार बैठक करता है, जबकि प्रदूषण की समस्या तेजी से बिगड़ रही है।

CAQM अधिनियम के तहत, दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आयोग का गठन किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अधिनियम के तहत दिए गए अधिकारों का सही उपयोग नहीं किया जा रहा है और वायु प्रदूषण के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि पैनल के पास प्रदूषणकारी इकाइयों को बंद करने का अधिकार है, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया।

इसके अलावा, अदालत ने जोर दिया कि पराली जलाने के विकल्पों को जमीनी स्तर पर लागू किया जाना चाहिए ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान किया जा सके। हर साल सर्दियों के दौरान दिल्ली को प्रदूषण की गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से दिवाली के आसपास जब वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है। इस समय हरियाणा और पंजाब में पराली जलाना प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हालांकि आयोग ने कुछ कदम उठाए हैं, उसे अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके प्रयास वायु प्रदूषण को कम करने में असरकारी साबित हों।” अदालत ने पैनल से अब तक की बैठकों और लिए गए निर्णयों का विवरण प्रस्तुत करने को कहा है।


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आख़िर तक मुख्य संपादक
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