“आखिर तक – संक्षेप में”
- व्हाइट हाउस ने अडानी रिश्वत कांड के बावजूद भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बताया।
- अडानी ग्रुप पर अमेरिकी अदालत में $265 मिलियन रिश्वत देने का आरोप है।
- अमेरिकी प्रशासन को आरोपों की जानकारी है और जांच एजेंसियों पर भरोसा है।
- भारत-अमेरिका के मजबूत रिश्तों पर कोई असर नहीं होगा।
- अडानी ग्रुप ने आरोपों को “बेबुनियाद” करार दिया है।
“आखिर तक – विस्तार में”
व्हाइट हाउस का बयान:
व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को गौतम अडानी और उनके सहयोगियों के खिलाफ लगे रिश्वत और धोखाधड़ी के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी। प्रेस सचिव करीने जीन-पियरे ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन इन आरोपों से अवगत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत-अमेरिका संबंध मजबूत नींव पर टिके हैं और इन आरोपों से कोई असर नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि दोनों देशों के बीच सहयोग और आपसी विश्वास इतना मजबूत है कि यह किसी भी संकट का सामना कर सकता है। हमारे संबंध वैश्विक मुद्दों पर सहयोग और आपसी हितों पर आधारित हैं।”
आरोपों का विवरण:
गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर न्यूयॉर्क में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए $265 मिलियन रिश्वत देने का आरोप है। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) और प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (SEC) ने आरोप लगाया कि अडानी ग्रुप ने गलत जानकारी देकर अमेरिकी निवेशकों से फंड जुटाए।
अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया:
अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “यह आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं।” आरोप लगने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई और कंपनी को ₹2 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
भारत-अमेरिका के संबंध:
व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि इस मामले से द्विपक्षीय संबंध प्रभावित नहीं होंगे। भारत और अमेरिका के बीच मजबूत आर्थिक और कूटनीतिक साझेदारी है, जो किसी भी विवाद से परे है।
“याद रखें – मुख्य बातें”
- व्हाइट हाउस ने अडानी रिश्वत कांड पर भारत-अमेरिका संबंधों की स्थिरता पर जोर दिया।
- अडानी ग्रुप ने आरोपों को निराधार बताया।
- दोनों देशों के मजबूत रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे।
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