आख़िर तक – एक नज़र में
- आंध्र प्रदेश की टीडीपी सरकार ने पुराने वक्फ बोर्ड के आदेश रद्द कर दिए।
- वक्फ बोर्ड मार्च 2023 से निष्क्रिय था और इसमें कोई भी शिया या सुन्नी विद्वान शामिल नहीं थे।
- नए वक्फ बोर्ड के गठन की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
- मुस्लिम संगठनों और विपक्ष ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का विरोध किया।
- केंद्र सरकार का कहना है कि नया विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
विवाद की पृष्ठभूमि
आंध्र प्रदेश की नंदमूरी चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी सरकार ने वाईएसआर कांग्रेस के कार्यकाल में गठित वक्फ बोर्ड के आदेशों को रद्द कर दिया है। सरकार का कहना है कि यह बोर्ड मार्च 2023 से निष्क्रिय था और इसमें सुन्नी और शिया समुदायों के विद्वानों का प्रतिनिधित्व नहीं था।
नए वक्फ बोर्ड का गठन
सरकार ने नए वक्फ बोर्ड के गठन की घोषणा की है। पुराने बोर्ड में कई अनियमितताएं पाई गईं, जैसे जूनियर अधिवक्ताओं की नियुक्ति में उचित मानदंडों का पालन नहीं किया गया। इस कारण कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने हितों के टकराव की शिकायत की थी।
वक्फ विधेयक और राजनीतिक विवाद
हाल ही में केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया। विपक्षी दल और मुस्लिम संगठन इसे समुदाय के खिलाफ कदम बता रहे हैं। वहीं, सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रबंधन के लिए है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
वक्फ बोर्डों पर अतिक्रमण और भूमि विवादों के आरोप पहले से ही चर्चा में हैं। ऐसे में आंध्र प्रदेश सरकार का यह कदम राजनीतिक विवाद को और बढ़ा सकता है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- टीडीपी सरकार ने पुराने वक्फ बोर्ड को भंग कर नए गठन की घोषणा की।
- मार्च 2023 से बोर्ड निष्क्रिय था।
- केंद्र सरकार का वक्फ विधेयक संसद में विवाद का विषय बना हुआ है।
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