भारत पर अमेरिकी टैरिफ लागू: कैबिनेट की अहम बैठक आज

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भारत पर अमेरिकी टैरिफ लागू: कैबिनेट की अहम बैठक आज

आख़िर तक – एक नज़र में

  • राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 26% अमेरिकी टैरिफ भारत पर बुधवार से प्रभावी हो गए हैं।
  • शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई, वैश्विक व्यापार युद्ध की चिंताएं बढ़ीं।
  • ट्रंप की घोषणा के बाद बाजार गिरने से केंद्रीय मंत्रिमंडल आज अहम बैठक करेगा।
  • सरकार का लक्ष्य भारत पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने की रणनीति बनाना है।
  • अच्छी खबर यह है कि सेमीकंडक्टर, तांबा और फार्मास्यूटिकल्स को इन अमेरिकी टैरिफ से छूट मिली है।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

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ट्रंप के 26% अमेरिकी टैरिफ भारत पर लागू, कैबिनेट की नजर असर कम करने पर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित 26% अमेरिकी टैरिफ भारत पर बुधवार से प्रभावी हो गए हैं। इस कदम ने भारतीय शेयर बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया। बाजार खुलते ही लाल निशान में चला गया। वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाएं गहरा गई हैं। पिछले हफ्ते ट्रंप द्वारा जवाबी टैरिफ की घोषणा के बाद से ही बाजार में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए आज केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है।

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कैबिनेट बैठक का एजेंडा

सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट बैठक का मुख्य एजेंडा इन नए अमेरिकी टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के तरीके खोजना है। सरकार इस मुद्दे पर बेहद गंभीर है। भारतीय निर्यात पर पड़ने वाले असर का आकलन किया जा रहा है। सरकार उद्योगों के साथ संपर्क में है। उनका लक्ष्य निर्यातकों की मदद करना है। वे प्रभाव को न्यूनतम रखना चाहते हैं।

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सरकार का सधा हुआ रुख

अभी तक, सरकार ने इस मामले में सतर्क रुख अपनाया है। सूत्रों का कहना है कि भारत द्वारा अमेरिका पर तत्काल जवाबी टैरिफ लगाने की संभावना कम है। सरकार टकराव बढ़ाने से बचना चाहती है। इसके बजाय, ध्यान अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को अंतिम रूप देने पर केंद्रित है। इस समझौते की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस साल की शुरुआत में हुई अमेरिका यात्रा के दौरान हुई थी।

BTA और अमेरिकी आदेश में राहत की उम्मीद

मार्च में, दोनों देशों ने BTA के लिए संदर्भ शर्तों (Terms of Reference) पर सहमति व्यक्त की थी। सरकार इस समझौते को तेजी से आगे बढ़ाना चाहती है। एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि सरकार अमेरिकी कार्यकारी आदेश के एक क्लॉज पर भरोसा कर रही है। यह क्लॉज उन देशों को राहत प्रदान करता है जो “गैर-पारस्परिक व्यापार व्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए महत्वपूर्ण कदम” उठाते हैं। भारत सरकार अपने कदमों से इसी राहत की उम्मीद कर रही है। यह भारत पर अमेरिकी टैरिफ के असर को कम कर सकता है।

ट्रंप का तर्क और भारत के कदम

डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम के मूल में उनका यह तर्क है कि भारत जैसे देश अमेरिकी निर्यातों पर अनुचित शुल्क लगाते हैं। जबकि वे स्वयं अमेरिकी बाजार में तरजीही पहुंच का आनंद लेते हैं। ट्रंप ने बार-बार भारत को व्यापार संबंधों का “बड़ा दुरुपयोगकर्ता” कहा है। हालांकि, भारत ने ट्रंप को मनाने के प्रयास किए हैं। भारत ने अमेरिकी बॉर्बन व्हिस्की और हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिलों पर टैरिफ कम किया है। इसने अमेरिकी टेक दिग्गजों को प्रभावित करने वाले डिजिटल सेवाओं पर टैक्स (‘गूगल टैक्स’) भी हटा दिया है।

छूट और प्रभावित क्षेत्र

एक सकारात्मक पहलू यह है कि सेमीकंडक्टर, तांबा और फार्मास्यूटिकल्स को इन अमेरिकी टैरिफ से छूट दी गई है। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत अमेरिका में लगभग आधी जेनेरिक दवाएं सप्लाई करता है। हालांकि, ऑटो पार्ट्स, रत्न और आभूषण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारतीय निर्यात को झटका लगेगा। सरकार इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे रही है।

प्रतिस्पर्धियों पर असर और भारत के लिए अवसर

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप द्वारा घोषित व्यापक टैरिफ भारत के प्रतिद्वंद्वी निर्यातकों को अधिक प्रभावित करेंगे। चीन (34%), वियतनाम (46%), और इंडोनेशिया (32%) जैसे भारत के एशियाई साथियों पर उच्च दर से टैरिफ लगाए गए हैं। इससे भारत के लिए कुछ क्षेत्रों में अवसर पैदा हो सकते हैं। सरकार इन संभावित अवसरों का लाभ उठाने पर भी विचार कर रही है। भारत पर अमेरिकी टैरिफ के बावजूद, कुछ सकारात्मक पहलू तलाशे जा रहे हैं।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • भारत पर 26% अमेरिकी टैरिफ बुधवार से प्रभावी हो गए हैं, शेयर बाजार में गिरावट आई।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल आज बैठक कर टैरिफ के प्रभाव को कम करने की रणनीति बनाएगा।
  • सेमीकंडक्टर, तांबा, फार्मा को छूट; ऑटो पार्ट्स, रत्न-आभूषण प्रभावित होंगे।
  • भारत तत्काल जवाबी टैरिफ से बच रहा है, BTA पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
  • प्रतिद्वंद्वियों पर उच्च टैरिफ भारत के लिए नए व्यापार अवसर पैदा कर सकते हैं।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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