बीजेपी के ‘नया कश्मीर’ सपने क्यों टूटे?

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बीजेपी के 'नया कश्मीर' सपने क्यों टूटे?

बीजेपी के ‘नया कश्मीर’ सपने क्यों टूटे? चुनावी नतीजे INDIA गठबंधन के पक्ष में

बीजेपी ने ‘नया कश्मीर’ की कहानी के साथ जम्मू-कश्मीर में एक आश्चर्यजनक जीत की उम्मीद की थी, लेकिन एग्जिट पोल ने उन्हें घाटी में निराश किया है। आखिर बीजेपी के कश्मीर सपने क्यों धराशायी हो गए?
CVoter एग्जिट पोल के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना है, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को 95 सीटों में से 40 से 48 सीटें जीतने की उम्मीद है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 विधायकों का चुनाव होता है, जबकि पांच को उपराज्यपाल द्वारा नामांकित किया जाता है।
घाटी में बीजेपी का प्रदर्शन फिर से खराब रहने की संभावना है, क्योंकि 2014 के चुनाव में बीजेपी ने घाटी में कोई सीट नहीं जीती थी। हालांकि, इस बार वह कुछ सीटें हासिल कर सकती है। वहीं, बीजेपी जम्मू क्षेत्र में अपना मजबूत प्रदर्शन जारी रख सकती है, जहां 43 सीटों में से 27-31 सीटें हासिल कर सकती है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और कांग्रेस के लिए ये नतीजे खुशखबरी हैं, लेकिन बीजेपी के ‘नया कश्मीर’ सपने के लिए यह एक बड़ा झटका है। पिछले पांच वर्षों में केंद्र सरकार ने शांति, विकास और समृद्धि पर जोर देकर क्षेत्र को बदलने की कोशिश की, लेकिन यह बदलाव वोटों में तब्दील नहीं हो सका।
अब सवाल उठता है कि ‘नया कश्मीर’ का विज़न बीजेपी के लिए चुनावी लाभ में क्यों नहीं बदल सका, जिसने घाटी में अपना प्रभाव बढ़ाने और अपना कैडर मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत की, साथ ही सैयद अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी और सज्जाद लोन की पीपल्स कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन भी किए।

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मुख्य कारण जो बीजेपी के सपने को नहीं कर सके साकार

  1. अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर जनमत तैयार करने में विफलता
    बीजेपी ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करके जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा छीन लिया था। केंद्र सरकार ने इसे ‘नया कश्मीर’ का प्रारंभ बताया, लेकिन लोगों को इससे विकास और शांति का लाभ नहीं मिला।
  2. कड़ी सुरक्षा नीति का विपरीत प्रभाव
    बीजेपी की ‘नया कश्मीर’ की सुरक्षा नीति ने कई स्थानीय लोगों में असंतोष पैदा किया। आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए, लेकिन इसके साथ ही जनता को ऐसा लगा कि उनका स्वतंत्रता का अधिकार छीन लिया गया है।
  3. विकास और नौकरी के वादों पर अमल में कमी
    बीजेपी ने कश्मीर में निवेश और रोजगार के बड़े वादे किए थे, लेकिन इन वादों को पूरा करने में सरकार विफल रही, जिससे जनता में निराशा फैली।
  4. स्थानीय दलों के साथ गठबंधन का असफल परिणाम
    बीजेपी ने क्षेत्रीय पार्टियों जैसे अपनी पार्टी और पीपल्स कॉन्फ्रेंस के साथ गठजोड़ किया था, लेकिन ये गठबंधन असरदार साबित नहीं हो सके और नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का प्रभाव कम नहीं कर सके।

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