Aakhir Tak – In Shorts
- भारत ने ब्रिक्स मंच का अधिकतम लाभ उठाकर वैश्विक दक्षिण में अपनी स्थिति मजबूत की।
- ब्रिक्स का उपयोग करते हुए भारत चीन के साथ रिश्तों में सुधार और पश्चिमी संबंधों को संतुलित कर रहा है।
- ब्रिक्स का विस्तार और नए सदस्य देशों का स्वागत भारत की प्रभावशाली भूमिका को दर्शाता है।
Aakhir Tak – In Depth
भारत, जो ब्रिक्स का सबसे पश्चिमी-अनुकूल सदस्य है, इस बहुपक्षीय मंच का सबसे अच्छा उपयोग कर रहा है। भारत ने ब्रिक्स का उपयोग अपने आर्थिक, कूटनीतिक, और भू-राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए किया है। हाल ही में रूस में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक ने भारत-चीन संबंधों में नए अवसरों की झलक दी। इस बैठक ने पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव में कमी की भी घोषणा की, जो दोनों देशों के बीच भरोसे का प्रतीक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिक्स केवल आर्थिक सहयोग का मंच नहीं रह गया, बल्कि यह अब कूटनीति और भरोसे का मंच बन रहा है। भारत इस मंच का उपयोग वैश्विक दक्षिण की आवाज़ के रूप में कर रहा है और इसके विस्तार के माध्यम से लोकतांत्रिक विचारों को बढ़ावा दे रहा है।
भारत के लिए, ब्रिक्स एक ऐसा मंच बन गया है जहां वह अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ भी सहयोग कर सकता है। भारत ने इस मंच का उपयोग अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ संतुलन बनाए रखने में किया है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के अनुसार, ब्रिक्स का विस्तार वैश्विक दक्षिण की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद कर सकता है। भारत ने ब्रिक्स के माध्यम से एक और लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था की वकालत की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत एक नए विश्व में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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