सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की अदालतों के खिलाफ लगाए गए “स्कैंडलस आरोपों” के लिए सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई। सीबीआई ने 2021 के बंगाल चुनाव के बाद की हिंसा के मामलों को राज्य के बाहर स्थानांतरित करने की मांग करते हुए यह याचिका दायर की थी। लेकिन याचिका में ‘बंगाल की अदालतों में शत्रुतापूर्ण माहौल’ का उल्लेख करने से अदालत नाराज हो गई। जस्टिस अभय एस ओका और पंकज मित्तल की पीठ ने सीबीआई की याचिका पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पश्चिम बंगाल की पूरी न्यायपालिका पर संदेह उत्पन्न हो रहा है।
सीबीआई ने अपने आवेदन में 45 से अधिक मामलों को बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था, यह आरोप लगाते हुए कि हिंसा के पीड़ितों को उनके घर लौटने से रोका जा रहा है और गवाहों को धमकियां दी जा रही हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से याचिका को संशोधित करने के लिए कहा।
जस्टिस ओका ने सीबीआई के आवेदन का जिक्र करते हुए कहा, “यदि हम इन मामलों को बंगाल से बाहर स्थानांतरित करते हैं, तो यह पुष्टि होगी कि सभी अदालतें शत्रुतापूर्ण हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि याचिका में इस्तेमाल की गई भाषा अवमानना का कारण बन सकती है।
एएसजी एसवी राजू ने अदालत को स्पष्ट किया कि सीबीआई का इरादा न्यायपालिका पर संदेह उत्पन्न करना नहीं था, बल्कि अदालतों के बाहर धमकियों का उल्लेख किया गया था। पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने सीबीआई की दलीलों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि एजेंसी इस प्रकार अदालत का दरवाजा क्यों खटखटा रही है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “पश्चिम बंगाल की सभी अदालतों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसी ने इस तरह से न्यायपालिका पर संदेह व्यक्त किया है।”
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