In Shorts:
- पश्चिम बंगाल सरकार ने डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया।
- सरकार ने कहा कि इस्तीफे केवल व्यक्तिगत रूप से ही मान्य होंगे।
- डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे को अवैध बताया गया।
पश्चिम बंगाल सरकार ने शनिवार को स्पष्ट रूप से कहा कि सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा कानूनी रूप से मान्य नहीं है। सरकार ने कहा कि सेवा नियमों के अनुसार, इस्तीफा व्यक्तिगत रूप से जमा करना होगा, सामूहिक रूप से नहीं।
पश्चिम बंगाल के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में वरिष्ठ डॉक्टरों ने एक साथ इस्तीफा दिया है, जिससे प्रदेश के चिकित्सा क्षेत्र में एक नया संकट पैदा हो गया है। इन डॉक्टरों के साथ-साथ सागर दत्ता अस्पताल और इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGMER) के डॉक्टरों ने भी अपने इस्तीफे देने की तैयारी की है। यह घटनाक्रम ममता बनर्जी सरकार के ऊपर दबाव बना रहा है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार, अलापन बंद्योपाध्याय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार सामूहिक इस्तीफों को स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्तीफा एक व्यक्तिगत मामला है और सामूहिक पत्रों का कोई कानूनी मूल्य नहीं है।
“इस्तीफे कर्मचारी और नियोक्ता के बीच व्यक्तिगत होते हैं और नियम पुस्तिका के अनुसार होने चाहिए। सामूहिक पत्रों का कोई कानूनी महत्व नहीं है,” बंद्योपाध्याय ने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार को अलग-अलग अस्पतालों से कुछ पत्र प्राप्त हुए हैं, लेकिन वे सामूहिक रूप से जमा नहीं किए गए थे।
सरकार का मानना है कि डॉक्टरों द्वारा सामूहिक इस्तीफा देने का कदम कानूनी रूप से मान्य नहीं है, जिससे राज्य के चिकित्सा क्षेत्र में गतिरोध बढ़ गया है। इस घटना ने राज्य सरकार और डॉक्टरों के बीच संबंधों में तनाव और बढ़ा दिया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में, आर जी कर मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों के एक समूह ने एक सामूहिक रूप से हस्ताक्षरित इस्तीफा पत्र भेजा था, जो उनके जूनियर साथियों के समर्थन में था। इसके बाद, राज्य के अन्य सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने भी इसी तरह के पत्र भेजे।
राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर अपने एक साथी की हत्या के खिलाफ न्याय की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही वे राज्य के स्वास्थ्य सचिव के इस्तीफे और कार्यस्थल सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। इसके विरोध में डॉक्टर भूख हड़ताल पर बैठे हैं, जिससे राज्य सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।
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