आख़िर तक – एक नज़र में
- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाकुंभ में गंगा स्नान के महत्व पर सवाल उठाए।
- खड़गे ने भाजपा नेताओं पर इसे धार्मिक रिवाज से अधिक ‘टीवी शो’ बनाने का आरोप लगाया।
- भाजपा ने खड़गे के बयान को ‘सनातन धर्म पर हमला’ बताया और माफी की मांग की।
- बयान के बाद राजनीति गरमा गई; दोनों दलों के नेताओं ने एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाए।
- महाकुंभ में अब तक 11 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा स्नान कर चुके हैं।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
गंगा स्नान से गरीबी मिटती है?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा नेताओं पर सवाल उठाते हुए पूछा कि गंगा स्नान जैसे धार्मिक कार्य क्या गरीबी, बेरोजगारी या भुखमरी जैसी समस्याओं को सुलझाने में मदद कर सकते हैं। उनका यह बयान महाकुंभ के दौरान आया जब भाजपा नेताओं ने गंगा में डुबकी लगाई।
खड़गे का तंज
मध्यप्रदेश के महू में ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ रैली में खड़गे ने कहा, “क्या गंगा स्नान करने से गरीबी मिटती है? क्या इससे बच्चों को भोजन मिलता है? अगर मेरे शब्दों से किसी की भावनाएं आहत हुईं, तो मैं क्षमा चाहता हूं।”
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा ने खड़गे के बयान को ‘सनातन धर्म पर हमला’ करार दिया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “क्या वे यह बात किसी अन्य धर्म के बारे में कह सकते हैं?” अमित मालवीय ने कांग्रेस को ‘हिंदू विरोधी’ बताया और कांग्रेस को ‘नई मुस्लिम लीग’ घोषित किया।
महाकुंभ का महत्त्व
महाकुंभ, जिसे हर 144 वर्षों में मनाया जाता है, इस बार प्रयागराज में हो रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 13 जनवरी से अब तक 11 करोड़ से अधिक लोग गंगा स्नान कर चुके हैं।
क्या कहती है जनता?
आम नागरिकों की राय में धार्मिक आयोजन केवल आस्था का प्रतीक हैं। इस पर राजनीति करने से केवल समाज में विघटन होता है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- महाकुंभ आस्था और परंपरा का प्रतीक है।
- खड़गे के बयान ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया।
- भाजपा ने इसे सनातन धर्म पर हमला बताया।
- धार्मिक आयोजन का सम्मान करना सभी की ज़िम्मेदारी है।
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