भारत का कड़ा जवाब अमेरिकी कोर्ट को गुरपतवंत पन्नू केस पर

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खालिस्तानी आतंकी पन्नू का पाकिस्तान से गठजोड़

अमेरिका की साउदर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, न्यूयॉर्क ने भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, और पूर्व रॉ प्रमुख समंत गोयल सहित कई अधिकारियों को गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के मामले में समन जारी किया। केंद्र सरकार ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा, “जैसा कि हमने पहले भी कहा है, ये आरोप पूरी तरह से अनुचित और असत्य हैं। इस केस के दर्ज होने से हमारी राय में कोई बदलाव नहीं आया है। मैं आपका ध्यान उस व्यक्ति की ओर आकर्षित करना चाहूंगा, जिसके खिलाफ ये मामला दर्ज किया गया है। उसके अतीत को सब जानते हैं।”

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उन्होंने यह भी जोड़ा कि, “यह व्यक्ति जिस संगठन का प्रतिनिधित्व करता है, वह एक अवैध संगठन है। इसे 1967 के गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत अवैध घोषित किया गया है क्योंकि यह संगठन भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने वाली राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल है।”

इससे पहले, न्यूयॉर्क की साउदर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, और पूर्व रॉ प्रमुख समंत गोयल को समन जारी किया था। साथ ही, हत्या की साजिश में शामिल दो व्यक्तियों, निखिल गुप्ता और विक्रम यादव को भी समन जारी किया गया।

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निखिल गुप्ता को पिछले साल चेक गणराज्य में अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर गिरफ्तार किया गया था, उन पर न्यूयॉर्क में पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप था। उन्हें जून 2024 में चेक गणराज्य से अमेरिका भेजा गया था।

अप्रैल 2024 में, वाशिंगटन पोस्ट ने रिपोर्ट किया कि रॉ के एक अधिकारी, विक्रम यादव, को इस साजिश के पीछे मुख्य व्यक्ति के रूप में नामित किया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि तत्कालीन रॉ प्रमुख समंत गोयल ने इस ऑपरेशन को मंजूरी दी थी।

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हालांकि, केंद्र ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे “अनुचित और असत्य आरोप” बताया कि भारतीय एजेंटों का पन्नू की हत्या की साजिश में हाथ था।

गुरपतवंत सिंह पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है और वह भारत में आतंकवाद के आरोपों में वांछित है। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है।


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