आख़िर तक – इन शॉर्ट्स
- पीयूष गोयल ने H1B वीज़ा मुद्दे को पुरानी बात बताया।
- अमेरिका में प्रमुख व्यापारिक नेताओं से मुलाकात कर भारत में निवेश के अवसरों पर चर्चा हुई।
- भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में सुधार और रणनीतिक साझेदारी पर जोर दिया गया।
आख़िर तक – इन डेप्थ
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में अमेरिका दौरे के बाद एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि H1B वीज़ा से जुड़े मुद्दे अब इतिहास की बात हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब भारत की प्राथमिकता अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
यह बयान नई दिल्ली स्थित वाणिज्य भवन में आयोजित एक बैठक के दौरान दिया गया। गोयल के अनुसार, भारत अब वीज़ा मुद्दों से आगे बढ़कर व्यापारिक सहयोग और साझेदारियों को मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है।
गोयल के इस दौरे के दौरान उन्होंने न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन में प्रमुख कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की। इन बैठकों में, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई नीतियों और सुधारों के बारे में जानकारी दी, खासकर फार्मास्यूटिकल्स और डायमंड उद्योग में निवेश के अवसरों पर जोर दिया।
सूरत, जो कि डायमंड उद्योग का एक प्रमुख केंद्र है, भारत और अमेरिका के बीच निवेश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। गोयल ने न्यूयॉर्क में लगभग 30 व्यापारिक नेताओं से मुलाकात की, जिनमें से अधिकांश पहले से ही भारत में काम कर रहे हैं और अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं।
वाशिंगटन में अपने दौरे के दौरान, गोयल ने सीईओ फोरम के 17 प्रमुख अधिकारियों के साथ लंच बैठक की, जिनमें टाटा संस के शीर्ष अधिकारी भी शामिल थे। इस फोरम की संरचना को फिर से व्यवस्थित करने पर चर्चा हुई क्योंकि कई सदस्यों का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो रहा है।
इस दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण एमओयू (सहमति ज्ञापन) भी साइन किए गए, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
इसके अलावा, गोयल ने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों, थिंक टैंकों और शिक्षाविदों के साथ बैठकें भी कीं। उन्होंने सीएसआईएस (स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज केंद्र) में भी भाग लिया।
उनकी इस यात्रा में स्वच्छ ऊर्जा विकास, तकनीकी हस्तांतरण, डिजिटल टेलीकॉम और रक्षा साझेदारी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी चर्चा हुई। बायोसाइंसेज पर चर्चा जारी रही, लेकिन आगामी अमेरिकी चुनावों के कारण बायोफ्यूल्स पर बहुत प्रगति नहीं हो पाई।
इस दौरे के दौरान भारतीय रुपया और अमेरिकी डॉलर के बीच स्थिर विनिमय दर स्थापित करने पर भी विचार हुआ, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिल सके। पर्यटन और डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास पर भी बातचीत की गई।
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