हाइफ़ा, जो उत्तरी इज़राइल का एक प्रमुख पर्यटन स्थल था, आज पूरी तरह से खाली पड़ा है। हिज़बुल्लाह द्वारा लगातार हमलों के कारण शहर में डर का माहौल है। इज़राइल की सेना ने स्थानीय लोगों से घरों में रहने की अपील की है, जिससे शहर की सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।
इंडिया टुडे के संवाददाता गौरव सावंत ने हाइफ़ा का दौरा किया और बताया कि तीन दिन पहले हिज़बुल्लाह ने लेबनान से लगभग 100 रॉकेट हाइफ़ा बे और अन्य उत्तरी इज़राइल के क्षेत्रों पर दागे थे। अब यहां के लोग अपने घरों में छिपे हुए हैं, और शहर वीरान दिखता है।
हाइफ़ा के निवासी और पूर्व इज़राइली नौसेना अधिकारी शलोमे हास्केल ने बताया कि हालात बेहद खराब हैं। उन्होंने कहा, “शनिवार को आमतौर पर सैकड़ों लोग रेस्तरां और पर्यटन स्थलों पर जाते थे, लेकिन अब यहां कोई नहीं है। लेबनान की सीमा यहां से केवल 5-7 किलोमीटर दूर है।”
इज़राइली सेना पिछले कुछ हफ्तों से दक्षिणी लेबनान में लगातार हमले कर रही है, जहां हिज़बुल्लाह का गढ़ है। यह संघर्ष 8 अक्टूबर से शुरू हुआ, जब हिज़बुल्लाह ने हमास के समर्थन में इज़राइल पर मिसाइलें दागीं।
30 सितंबर को इज़राइल ने हिज़बुल्लाह के मुख्यालय पर हमला किया और उनके नेता हसन नसरल्लाह को मार दिया। इसके बाद इज़राइली सेना ने सीमित जमीनी अभियान शुरू किया। इस हमले में नसरल्लाह के चचेरे भाई और उनके संभावित उत्तराधिकारी हाशिम सफीद्दीन को भी निशाना बनाया गया, लेकिन उनकी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली ख़ामेनेई ने कहा कि “प्रतिरोध” कभी पीछे नहीं हटेगा और इज़राइल हिज़बुल्लाह और हमास के खिलाफ जीत नहीं पाएगा। उन्होंने इसे इज़राइल के “अपराधों” का न्यायोचित प्रतिशोध बताया।
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