भारत-चीन गश्त समझौता: तनाव घटा लेकिन सतर्कता जरूरी

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भारत-चीन सीमा वार्ता: कैलाश यात्रा शुरू

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  1. भारत और चीन के बीच LAC पर गश्त फिर से शुरू करने का समझौता।
  2. विशेषज्ञों की सलाह: चीन की मंशाओं पर सतर्क रहें।
  3. गश्त की व्यवस्था से तनाव में कमी, लेकिन पूर्ण समाधान अब भी दूर।

आख़िर तक – In Depth

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भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। सोमवार को दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख के संवेदनशील इलाकों में गश्त फिर से शुरू करने का समझौता हुआ। यह समझौता विशेष रूप से देपसांग मैदान और डेमचोक क्षेत्रों में लागू होगा, जहां 2020 से गलवान घाटी संघर्ष के बाद से तनाव बना हुआ है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने चीन की मंशाओं पर सवाल उठाते हुए भारत को सतर्क रहने की सलाह दी है। भू-रणनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने इस नए गश्ती समझौते को एक सकारात्मक कदम बताया, लेकिन कहा कि इसे कोई बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उनका मानना है कि यह समझौता केवल तनाव घटाने का पहला चरण है, और चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र में किए गए भूमि कब्जे को वापस लेने की संभावना नहीं है।

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सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने भी चेलानी की बात से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में चीन ने सीमा पर जो स्थायी ढांचागत निर्माण किए हैं, उन्हें तुरंत वापस करना कठिन है। उन्होंने यह भी बताया कि तनाव का हल धीरे-धीरे होगा और एक दिन में सब कुछ सुलझने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।

इस समझौते को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में संभावित बैठक के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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