जज ट्रांसफर: सुप्रीम कोर्ट ने अफवाहों को खारिज किया

आख़िर तक
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राष्ट्रपति विधेयक निर्णय समयसीमा: सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

आख़िर तक – एक नज़र में

  • सुप्रीम कोर्ट ने जज यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को कैश बरामदगी से जोड़ने वाली अफवाहों का खंडन किया।
  • कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रांसफर का फैसला आंतरिक जांच से स्वतंत्र है।
  • दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने पहले ही मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है।
  • यशवंत वर्मा का ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
  • इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने यशवंत वर्मा के ट्रांसफर का विरोध किया है।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

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सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पष्ट किया कि जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज ट्रांसफर उनकी रिहाइश से कथित कैश बरामदगी से जुड़ा नहीं है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मामले की आंतरिक जांच स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार अलग से चल रही है और ट्रांसफर का फैसला जारी जांच से स्वतंत्र था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर हुई घटना के बारे में गलत सूचना और अफवाहें फैलाई जा रही हैं,” कोर्ट ने कैश की खोज से उनके ट्रांसफर को जोड़ने वाली अटकलों को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने आगे कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने पहले ही मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है, घटना से संबंधित सबूत और जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं। इस जांच के निष्कर्ष आज भारत के चीफ जस्टिस (CJI) को सौंपे जाने की उम्मीद है। जज ट्रांसफर का प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने रखा था, जिसमें भारत के चीफ जस्टिस और चार वरिष्ठतम जज शामिल थे। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट के परामर्शदाता जजों, संबंधित हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस वर्मा को पत्र भेजे गए। जवाबों की वर्तमान में जांच की जा रही है, जिसके बाद कॉलेजियम इस मामले पर एक प्रस्ताव पारित करेगा।

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विवाद तब शुरू हुआ जब खबरें आईं कि आग लगने के बाद जस्टिस वर्मा के दिल्ली आवास के विभिन्न कमरों में फायरफाइटर्स को बड़ी मात्रा में कैश मिला। सूत्रों ने कहा कि जब जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे, तो उनके परिवार के सदस्यों ने फायर ब्रिगेड को सतर्क किया, जिसने आग बुझाने पर कथित तौर पर कैश पाया।

घटना की जानकारी मिलने पर भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कॉलेजियम की बैठक बुलाई। सर्वसम्मति से जस्टिस वर्मा को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का फैसला किया गया, जहां उन्होंने पहले अक्टूबर 2021 तक सेवा की थी।

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‘कूड़ादान नहीं’
हालांकि, जज ट्रांसफर के फैसले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध जताया, जिसने इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया। बार एसोसिएशन ने कड़ी अस्वीकृति व्यक्त करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट “कूड़ादान नहीं” है और जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण पर चिंता व्यक्त की। एक बार अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “हमें यह देखकर झटका लगा कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है।” जज ट्रांसफर की इस घटना ने न्यायपालिका में चर्चा का विषय बना दिया है। आंतरिक जांच से सच्चाई सामने आने की उम्मीद है।

आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने जज यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को कैश बरामदगी से जोड़ने वाली अफवाहों को खारिज किया।
  • जज ट्रांसफर का फैसला आंतरिक जांच से स्वतंत्र है।
  • दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है।
  • सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जज यशवंत वर्मा का ट्रांसफर प्रस्तावित किया था।
  • इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जज यशवंत वर्मा के ट्रांसफर का विरोध किया, जिससे जज ट्रांसफर का मुद्दा गरमा गया।

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आख़िर तक मुख्य संपादक
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