कोई सुधार नहीं: माँ के अंग तलने वाले की मौत की सजा बरकरार

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प्रत्येक नग्न चित्र अश्लील नहीं: बॉम्बे हाई कोर्ट

कोई सुधार की गुंजाइश नहीं: माँ के अंगों को तलने वाले व्यक्ति की मौत की सजा बरकरार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस व्यक्ति की मौत की सजा को बरकरार रखा, जिसने अपनी 63 वर्षीय माँ की हत्या की और उसके शरीर के अंगों को तलने का प्रयास किया। कोल्हापुर के निवासी सुनील राम कुचकोरवी को 2017 में इस जघन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था।

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जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने इस मामले को ‘दुर्लभतम’ श्रेणी में रखा और कहा कि इसमें “सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है।” अदालत ने इस घटना को “नरभक्षण” और “क्रूरता” का उदाहरण बताया।

कोल्हापुर की अदालत ने 2021 में सुनील को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई करते हुए मंजूरी दी। सुनील वर्तमान में यरवदा जेल में बंद है।

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जस्टिस चव्हाण ने कहा, “यह मामला सबसे दुर्लभ है क्योंकि उसने न केवल अपनी माँ की हत्या की, बल्कि उसके अंगों को निकालकर उन्हें पकाने की कोशिश की। उसने दिल निकाल कर पकाने की कोशिश की और पसलियों को तेल में डाल दिया था। यह नरभक्षण है, और इसे सबसे दुर्लभ मामलों में गिना जाएगा।”

जस्टिस डेरे ने अपराध की नृशंसता पर जोर देते हुए कहा, “हमने इससे अधिक घृणित और क्रूर मामला कभी नहीं देखा।” अदालत ने यह भी चिंता व्यक्त की कि अगर कुचकोरवी को आजीवन कारावास की सजा दी जाती है, तो वह अन्य कैदियों के लिए खतरा साबित हो सकता है।

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यह हत्या 28 अगस्त 2017 को हुई थी और इसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, सुनील ने अपनी 63 वर्षीय माँ यल्लामा राम कुचकोरवी की हत्या करने के बाद उसके शरीर के अंगों को तलने का प्रयास किया।

रक्षा पक्ष के वकील युग मोहित चौधरी और पायोशी रॉय ने तर्क दिया कि राज्य को दोषी के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सुनील को अपने संभावित मानसिक अस्थिरता का सबूत पेश करने का अवसर दिया जाना चाहिए।

मंगलवार को हाईकोर्ट ने कुचकोरवी की मौत की सजा को बरकरार रखा, लेकिन उसे 30 दिनों के भीतर अपील करने का अधिकार दिया।


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