आख़िर तक – एक नज़र में
- अमेरिका ने पाकिस्तान के लंबी दूरी की मिसाइल प्रोग्राम पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- पाकिस्तानी मिसाइलों का मुख्य फोकस भारत पर था लेकिन अब उनकी रेंज और बढ़ रही है।
- अमेरिका ने इसे अपने और अन्य देशों की सुरक्षा के लिए खतरा बताया।
- पाकिस्तानी सरकार और विशेषज्ञों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।
- यह प्रतिबंध अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में और तनाव पैदा कर सकता है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
अमेरिकी प्रतिबंध की घोषणा
अमेरिका ने पाकिस्तान पर लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल बनाने का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगाए हैं। यह मिसाइलें संभावित रूप से परमाणु हथियारों से लैस हो सकती हैं। अमेरिका का यह कदम उनके पुराने “मेजर नॉन-नाटो एलाय” के खिलाफ गंभीर संकेत है। हाल के प्रतिबंध पाकिस्तान की नेशनल डेवेलपमेंट कॉम्प्लेक्स और तीन अन्य कराची-स्थित संस्थानों पर लगाए गए हैं। इन संस्थानों पर अमेरिकी परिसंपत्तियों के फ्रीज और व्यापार पर रोक लगाई गई है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रियां और अमेरिकी नारें
पाकिस्तानी अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज किया। उनका कहना है कि उनके मिसाइल प्रोग्राम का उद्देश्य केवल “पुर्वित्य जोजन्यों की ब्हालीं” बनाए रखना है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने अमेरिकी प्रतिबंधों को “असमर्थनीय” बताया। कुछ विशेषज्ञ इसे अमेरिका और उसके प्रमुख सहयोगी इज़राइल के हितों की रक्षा से जोड़ते हैं।
भू-राजनीतिक पर्प्रेश्य
इस प्रतिबंध से ये प्रस्पष्ट हुआ की पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम और उसकी सुरक्षा पर कड़ा ध्यान रखना जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान की सरकार और उसकी राजनीतिक स्थिति कई सवाल खड़े करती है। आतंकवाद को एक रणनीति के रूप में इस्तेमाल करने के इतिहास ने भी इसकी विश्वसनीयता कम की है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- अमेरिका ने पाकिस्तान पर लंबी दूरी की मिसाइलें बनाने का गंभीर आरोप लगाया है।
- पाकिस्तानी अधिकारियों ने इन आरोपों को नकारा और इसे भारत तक सीमित बताया।
- अमेरिकी प्रतिबंध पाकिस्तान और इज़राइल के तनावों से जुड़े हो सकते हैं।
- पाकिस्तान का परमाणु और मिसाइल प्रोग्राम अंतरराष्ट्रीय चिंताओं का विषय बना हुआ है।
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