आख़िर तक – एक नज़र में
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद तमिलनाडु बीजेपी में बड़े फेरबदल की उम्मीद है।
- शाह की यात्रा तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन खुलने के साथ हुई है।
- मौजूदा अध्यक्ष के अन्नामलाई के पद पर बने रहने को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।
- एआईएडीएमके नेता ईपीएस की हालिया अमित शाह से मुलाकात अहम मानी जा रही है।
- नए अध्यक्ष का चुनाव राज्य में एनडीए गठबंधन की रणनीति तय कर सकता है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
अमित शाह का दौरा और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चेन्नई दौरे के बाद तमिलनाडु बीजेपी में बड़े नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा होने की उम्मीद है। शाह का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके कार्यक्रम में कई अहम बैठकें शामिल थीं। उन्होंने एक निजी होटल में राज्य बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। इसके बाद, उन्होंने दो मंदिरों के दर्शन किए। शाह ने राज्य के आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति से भी मुलाकात की। इस दौरे ने राज्य इकाई में हलचल तेज कर दी है।
नामांकन प्रक्रिया और अन्नामलाई का भविष्य
शाह की यात्रा का समय बेहद खास है। यह तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ हुआ। इससे अटकलें तेज हो गई हैं। क्या मौजूदा अध्यक्ष के अन्नामलाई को बदला जा सकता है? अन्नामलाई दक्षिण में पार्टी का एक प्रमुख चेहरा हैं। उनका भविष्य अब अनिश्चित लग रहा है। बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर इसे सामान्य पार्टी गतिविधि बताया। लेकिन अंदरखाने बदलाव की सुगबुगाहट तेज है।
ईपीएस-शाह मुलाकात का असर
यह हलचल पिछले महीने शुरू हुई थी। एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस) ने अमित शाह से अचानक मुलाकात की थी। इंडिया टुडे ने पहले इस बैठक पर रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, ईपीएस ने अन्नामलाई को हटाने की जोरदार मांग की थी। उन्होंने अन्नामलाई को बदलने या कम से कम उनकी शक्तियां कम करने पर जोर दिया। पर्यवेक्षकों ने नोट किया कि बैठक के बाद ईपीएस काफी प्रसन्न दिखे थे। इस पर के अन्नामलाई ने प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि कोई भी कानून व्यवस्था पर चर्चा के लिए गृह मंत्री से मिल सकता है। हालांकि, घटनाक्रम तेजी से बढ़ा। अन्नामलाई ने घोषणा की कि वह राज्य नेतृत्व परिवर्तन की दौड़ में शामिल नहीं होंगे।
अध्यक्ष पद के संभावित उम्मीदवार और नियम
शुरुआत में शीर्ष पद के लिए कई नाम चर्चा में थे। इनमें अन्नामलाई, नयनार नागेंद्रन, तमिलिसाई सुंदरराजन और वनथी श्रीनिवासन शामिल थे। तमिलिसाई पहले भी यह पद संभाल चुकी हैं। हालांकि, बीजेपी के मौजूदा नियम कुछ उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराते हैं। नामांकन के सर्कुलर में उल्लिखित नियम कड़े हैं। इसके अनुसार, उम्मीदवारों को कम से कम दस साल तक पार्टी का सामान्य सदस्य होना चाहिए। नयनार नागेंद्रन 2017 में पार्टी में शामिल हुए थे। अन्नामलाई 2021 में बीजेपी में आए थे। इस नियम के तहत दोनों अयोग्य हो जाते हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा कि जरूरत पड़ने पर नियमों में संशोधन किया जा सकता है।
गुरुमूर्ति की भूमिका और गठबंधन की रणनीति
शाह के व्यस्त कार्यक्रम के बीच उनकी एस गुरुमूर्ति से मुलाकात भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। गुरुमूर्ति का तमिलनाडु की राजनीति में काफी प्रभाव रहा है। उन्हें ओ पन्नीरसेल्वम के ‘धर्मयुद्धम’ को प्रभावित करने का श्रेय दिया जाता है। इसी ‘धर्मयुद्धम’ ने एआईएडीएमके के आंतरिक विभाजन में भूमिका निभाई। वीके शशिकला को बाहर का रास्ता दिखाया गया। यहां तक कि रजनीकांत की संक्षिप्त राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में भी उनका प्रभाव था। माना जाता है कि के अन्नामलाई के बीजेपी में उभार में भी गुरुमूर्ति की भूमिका थी। अन्नामलाई खुद गुरुवार को गुरुमूर्ति से मिले थे। लेकिन सूत्रों का कहना है कि एक ठोस फैसला लिया जा चुका है। फैसला तमिलनाडु में एनडीए गठबंधन बनाने का है। इस गठबंधन में एआईएडीएमके की केंद्रीय भूमिका होगी। नए तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव इसी बदलाव को दर्शाएगा। यह कदम राज्य में पार्टी की भविष्य की दिशा तय करेगा।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- अमित शाह के चेन्नई दौरे ने तमिलनाडु बीजेपी में नेतृत्व बदलाव की अटकलों को हवा दी है।
- वर्तमान तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई का भविष्य अनिश्चित है।
- एआईएडीएमके नेता ईपीएस ने शाह से मिलकर अन्नामलाई को हटाने का दबाव बनाया था।
- अध्यक्ष पद के लिए दस साल की सदस्यता का नियम नेतृत्व परिवर्तन में बाधा बन सकता है, पर नियम बदल सकते हैं।
- माना जा रहा है कि एस गुरुमूर्ति से शाह की मुलाकात और एनडीए गठबंधन की रणनीति नए अध्यक्ष के चयन को प्रभावित करेगी।
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