यूके में एंटी-इमिग्रेशन दंगे: दक्षिणपंथी भीड़ ने शरणार्थियों के होटल को जलाया
यूके में एंटी-इमिग्रेशन हिंसा का एक नया अध्याय जुड़ गया है, जब दक्षिणपंथी अतिवादी शरणार्थियों के लिए आवास प्रदान करने वाले होटल को निशाना बनाते हुए उसमें आग लगा दी। रोथरहम में हुए इस हमले ने पिछले एक दशक की सबसे गंभीर अशांति को दर्शाया।
गलत सूचना से हिंसा का आगाज
यह अशांति दक्षिणपंथी समूहों द्वारा फैलायी गई गलत सूचना के बाद शुरू हुई, जिसमें दावा किया गया कि एक दक्षिणपंथी मुस्लिम आप्रवासी ने दक्षिणपोर्ट में तीन बच्चों की हत्या की। इस झूठी सूचना ने ब्रिटेन भर में एंटी-इमिग्रेशन भावना को भड़काया, जिससे विभिन्न शहरों में हिंसा भड़क उठी।
हिंसा और विनाश: दंगों की तस्वीरें
रोथरहम में, दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों ने होटल के चारों ओर एकत्रित होकर, पुलिस पर प्रक्षिप्त सामग्री फेंकी, खिड़कियां तोड़ीं और अंततः होटल में घुसकर उसमें आग लगा दी। यह दृश्य ब्रिटेन में फैल रहे एंटी-इमिग्रेशन संवेदनाओं की बढ़ती तीव्रता को दर्शाता है।
सरकार और कानून प्रवर्तन की प्रतिक्रिया
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस हिंसा की निंदा की और आश्वस्त किया कि दोषियों को “अफसोस” होगा। पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी इस हिंसा की निंदा की और पुलिस को इस अपराधी व्यवहार से निपटने का पूरा समर्थन दिया।
सुरक्षा उपाय और प्रभावित समुदायों के लिए समर्थन
हिंसा के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, यूके सरकार ने मस्जिदों और अन्य संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा बढ़ाने के उपाय घोषित किए हैं। गृह सचिव यवेट कोपर ने मस्जिदों के लिए £29.4 मिलियन का फंड देने की घोषणा की। पुलिस को भी नए अधिकार दिए गए हैं ताकि वे स्थिति को नियंत्रित कर सकें।
दंगों का राष्ट्रीय प्रभाव और गिरफ्तारियां
रोथरहम में ही नहीं, बल्कि बेलफास्ट से लेकर लिवरपूल और ब्रिस्टल तक दंगे भड़क गए हैं। पुलिस ने अब तक कई स्थानों से लगभग 100 लोगों को गिरफ्तार किया है।
ऑनलाइन दक्षिणपंथी समूहों की भूमिका
दंगों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए संगठित किया गया है, जहां दक्षिणपंथी समूह भड़काऊ स्लोगन का उपयोग कर रहे हैं। इंटरनेट पर फैल रही एंटी-मुस्लिम और एंटी-इमिग्रेशन सामग्री ने सड़कों पर देखी गई हिंसा को बढ़ावा दिया है।
जैसे-जैसे स्थिति विकसित हो रही है, यूके को दक्षिणपंथी अतिवाद का सामना करने और शांति बहाल करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। सरकार की प्रतिक्रिया और नए सुरक्षा उपायों की प्रभावशीलता यह तय करेगी कि देश इस उथल-पुथल से कैसे निपटेगा।
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