जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एलजी की मनोनयन शक्ति पर विवाद: क्यों उठा यह मुद्दा?

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एलजी की मनोनयन शक्ति पर विवाद: क्यों उठा यह मुद्दा?

जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा विधानसभा में पांच सदस्यों को नामित करने की शक्ति पर राजनीतिक घमासान छिड़ा हुआ है। कई राजनीतिक दल इस प्रक्रिया के निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं, और यह बहस गरमा रही है कि क्या यह कदम शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

बहुमत के लिए कितनी सीटों की आवश्यकता?

अगर उपराज्यपाल द्वारा पांच सदस्य नामित किए जाते हैं, तो विधानसभा की कुल संख्या बढ़कर 95 हो जाएगी, जिससे सरकार बनाने के लिए बहुमत का अंक 48 सीटों तक बढ़ जाएगा।

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मनोनित सदस्यों की संख्या कैसे बढ़ी?

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत उपराज्यपाल को दो सदस्यों को विधानसभा में नामित करने की शक्ति दी गई थी, खासकर महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए। 2023 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके बाद उपराज्यपाल को तीन और सदस्यों को नामित करने की शक्ति प्राप्त हो गई। इसमें एक महिला और कश्मीरी प्रवासियों और पीओके विस्थापितों का प्रतिनिधित्व शामिल किया गया।

क्या उपराज्यपाल अपने विवेक से सदस्यों का चयन कर सकते हैं?

पूर्व जम्मू-कश्मीर कानून सचिव मोहम्मद अशरफ मीर के अनुसार, उपराज्यपाल को विधानसभा के सदस्यों के मनोनयन में पूरी छूट है। यह मामला विधानमंडल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, जिससे उपराज्यपाल के पास यह अधिकार होता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही कार्य करना चाहिए।

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वोटिंग अधिकार पर असमंजस

हालांकि उपराज्यपाल के पास मनोनयन का अधिकार है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि नामित सदस्य सरकार गठन और अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कर सकेंगे या नहीं।

पुदुचेरी मामला और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

पुदुचेरी की विधान सभा में तीन नामित सदस्यों को निर्वाचित विधायकों के समान अधिकार प्राप्त हैं। 2018 में केंद्र सरकार द्वारा पुदुचेरी विधानसभा में तीन सदस्यों को नामित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में स्पष्ट किया था कि नामित और निर्वाचित सदस्यों के अधिकार समान होते हैं।

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राजनीतिक दलों का क्या कहना है?

भाजपा के प्रवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि यह कानून 2019 से स्पष्ट है और जो दल इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें इसका अध्ययन करना चाहिए। वहीं, कांग्रेस नेता गुलाम अहमद मीर ने कहा कि नामांकन प्रक्रिया को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करना असंवैधानिक है। नेशनल कांफ्रेंस के नेता रतन लाल गुप्ता ने इस कदम को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार दिया है।


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